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'कभी बंट गए थे अब वह भी मिला लेंगे', RSS चीफ मोहन भागवत ने ब्रिटेन को दिखाया आईना

मोहन भागवत ने अपने भाषण में पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल के उस कथन का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि ब्रिटिश शासन के अंत के बाद भारत एकजुट नहीं रह पाएगा और बिखर जाएगा. भागवत ने इस बयान का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत ने न केवल चर्चिल की भविष्यवाणी को गलत साबित किया, बल्कि स्वतंत्रता के बाद से अपनी एकता और प्रगति के साथ विश्व में एक मजबूत स्थान बनाया है.

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Gyanendra Sharma

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने रविवार को एक पुस्तक विमोचन समारोह के दौरान भारत की प्रगति और एकता पर जोरदार बयान दिया. उन्होंने कहा कि भारत न केवल सभी नकारात्मक भविष्यवाणियों को गलत साबित कर रहा है, बल्कि विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ़ रहा है. अपने संबोधन में भागवत ने देश की एकता और अखंडता पर बल देते हुए कहा, हम आगे बढ़ेंगे, हम नहीं बंटेंगे. भले ही इतिहास में हम कभी बंटे थे, लेकिन अब हम सबको जोड़ लेंगे.

मोहन भागवत ने अपने भाषण में पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल के उस कथन का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि ब्रिटिश शासन के अंत के बाद भारत एकजुट नहीं रह पाएगा और बिखर जाएगा. भागवत ने इस बयान का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत ने न केवल चर्चिल की भविष्यवाणी को गलत साबित किया, बल्कि स्वतंत्रता के बाद से अपनी एकता और प्रगति के साथ विश्व में एक मजबूत स्थान बनाया है. उन्होंने इशारों में ब्रिटेन को आइना दिखाते हुए कहा कि भारत की ताकत उसकी एकता और सांस्कृतिक विरासत में निहित है, जो इसे हर चुनौती का सामना करने में सक्षम बनाती है.

भारत का विकास और वैश्विक प्रभाव

संघ प्रमुख ने अपने संबोधन में भारत की विकास का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि आज भारत आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में अभूतपूर्व प्रगति कर रहा है. विज्ञान, प्रौद्योगिकी, शिक्षा और उद्यमिता के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियां विश्व पटल पर चर्चा का विषय बन रही हैं. भागवत ने जोर देकर कहा कि भारत की यह प्रगति केवल आर्थिक आंकड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देश की एकता, संस्कृति और सामाजिक समरसता का भी प्रतीक है.

एकता और समावेशिता का संदेश

मोहन भागवत ने अपने भाषण में देशवासियों से एकजुट रहने और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि भारत की ताकत उसकी विविधता में एकता है. विभिन्न धर्मों, भाषाओं और संस्कृतियों के बावजूद भारत ने हमेशा एकता का परिचय दिया है. उन्होंने यह भी जोड़ा कि अतीत में भले ही कुछ विभाजनकारी ताकतों ने देश को कमजोर करने की कोशिश की, लेकिन भारत ने हर बार अपनी एकता के बल पर उन चुनौतियों को पार किया है.