menu-icon
India Daily

Satyajit Ray Ancestral Home: अब नहीं गिराया जाएगा सत्यजीत रे का पैतृक घर, भारत के दखल के बाद बांग्लादेश ने तत्काल लगवाई रोक

बांग्लादेश के मायमेनसिंह शहर में मशहूर फिल्म निर्माता सत्यजीत रे के पैतृक घर को तोड़ने की योजना पर अब रोक लग गई है. भारत सरकार के हस्तक्षेप और सांस्कृतिक महत्व को देखते हुए बांग्लादेश सरकार ने इस ऐतिहासिक इमारत को बचाने का फैसला किया है. इस घर को सत्यजीत रे के दादा, प्रसिद्ध साहित्यकार उपेंद्र किशोर रे चौधरी ने बनवाया था.

auth-image
Edited By: Antima Pal
Satyajit Ray Ancestral Home
Courtesy: social media

Satyajit Ray Ancestral Home: बांग्लादेश के मायमेनसिंह शहर में मशहूर फिल्म निर्माता सत्यजीत रे के पैतृक घर को तोड़ने की योजना पर अब रोक लग गई है. भारत सरकार के हस्तक्षेप और सांस्कृतिक महत्व को देखते हुए बांग्लादेश सरकार ने इस ऐतिहासिक इमारत को बचाने का फैसला किया है. इस घर को सत्यजीत रे के दादा, प्रसिद्ध साहित्यकार उपेंद्र किशोर रे चौधरी ने बनवाया था. अब इस इमारत के पुनर्निर्माण के लिए एक समिति का गठन किया गया है.

क्यों खास है यह घर?

यह सदी पुराना घर मायमेनसिंह के हरिकिशोर रे चौधरी रोड पर स्थित है और बंगाल के सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक माना जाता है. यह घर न केवल सत्यजीत रे, बल्कि उनके पिता सुकुमार रे और दादा उपेंद्र किशोर रे चौधरी की विरासत से जुड़ा है. उपेंद्र किशोर एक मशहूर लेखक, प्रकाशक और चित्रकार थे, जिन्होंने बच्चों की पत्रिका 'संदेश' की स्थापना की थी. यह घर पहले मायमेनसिंह शिशु अकादमी के रूप में इस्तेमाल होता था, लेकिन पिछले एक दशक से यह खंडहर हालत में था.

भारत का हस्तक्षेप

जब इस घर को तोड़कर नया ढांचा बनाने की खबरें सामने आईं, तो भारत सरकार ने तुरंत कदम उठाया. विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर इस इमारत को साहित्य संग्रहालय में बदलने का सुझाव दिया और इसके पुनर्निर्माण में सहयोग की पेशकश की. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इस मामले में बांग्लादेश और भारत सरकार से हस्तक्षेप की अपील की थी. उन्होंने इसे बंगाल की सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा बताया.

समिति का गठन

बांग्लादेश ने भारत के अनुरोध पर तुरंत कार्रवाई की और तोड़फोड़ रोक दी. बांग्लादेश के पुरातत्व विभाग और जिला प्रशासन अब इस इमारत के भविष्य पर चर्चा कर रहे हैं. एक समिति बनाई गई है जो इस घर को पुनर्जनन करने और इसे सांस्कृतिक धरोहर के रूप में संरक्षित करने के तरीकों पर विचार करेगी. सत्यजीत रे विश्व सिनेमा के दिग्गज हैं, जिन्हें 1992 में ऑस्कर से सम्मानित किया गया था. उनकी फिल्में, जैसे 'पथेर पांचाली' और 'अपू त्रयी' आज भी प्रेरणा देती हैं.