Russia Ukraine War: भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार (7 दिसंबर) को रूस से तेल खरीदने पर हो रही आलोचनाओं का कड़ा जवाब दिया. उन्होंने यह साफ किया कि भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को लेकर सिर्फ व्यापारिक दृष्टिकोण से फैसले लेता है. ऐसे में दुनिया भी अब यह समझने लगी है कि रूस-यूक्रेन संघर्ष का समाधान केवल संवाद और कूटनीति से ही संभव है. दरअसल, रूस से 'सस्ता तेल' मिलने के बारे में पूछे जाने पर एस जयशंकर ने सख्त जवाब में कहा, "हां, मुझे तेल मिलता है.यह जरूरी नहीं कि सस्ता ही हो. क्या आपके पास इससे बेहतर सौदा है?"
विदेश मंत्री एस जयशंकर दोहा फोरम के 22वें संस्करण में 'नए युग में संघर्ष समाधान' पर पैनल चर्चा कर रहे थे, जहां कतर के विदेश मंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुल्रहमान अल थानी और नॉर्वे के विदेश मंत्री एस्पेन बार्थ ईडे भी उपस्थित थे. जयशंकर ने इस दौरान रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत की स्थिति को फिर से दोहराया. उन्होंने कहा, "हमेशा से हमारा यह मानना रहा है कि यह युद्ध युद्धभूमि पर हल नहीं होने वाला है. अंत में, पक्षों को किसी न किसी बातचीत की मेज पर आना ही पड़ेगा, और यह जितना जल्दी होगा, उतना बेहतर होगा.
Pleased to participate @DohaForum panel today on the topic “Conflict Resolution in a New Era” in Doha today along with PM & FM @MBA_AlThani_ of 🇶🇦 and FM @EspenBarthEide of 🇳🇴.
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) December 7, 2024
As the conflicts around us increase, the need of the hour is more diplomacy, not less. #DohaForum pic.twitter.com/aQ1mF0lOhP
कूटनीति के माध्यम से युद्ध को खत्म करने की दिशा
इस दौरान विदेश मंत्री एस जयसंकर ने यह भी कहा कि भारत का उद्देश्य संघर्ष को सुलझाने के लिए संवाद को बढ़ावा देना है, भले ही यह नजरिया कुछ हिस्सों में लोकप्रिय न हो. उन्होंने कहा, "भारत ने लगातार कूटनीति के माध्यम से युद्ध का समाधान खोजने की कोशिश की है. जयशंकर ने कहा, "आज स्थिति यह है कि वार्ता की वास्तविकता को स्वीकार किया जा रहा है, न कि युद्ध को जारी रखने की. हम मास्को में राष्ट्रपति पुतिन से बात कर रहे हैं, कीव में राष्ट्रपति जेलेंस्की से मिल रहे हैं, और अन्य जगहों पर भी प्रयास कर रहे हैं.
'हमारे पास शांति योजना नहीं है'
विदेश मंत्री ने स्पष्ट किया कि भारत के पास रूस-यूक्रेन संघर्ष को हल करने के लिए कोई 'शांति योजना' नहीं है. उन्होंने कहा, "हम शांति योजना नहीं बना रहे हैं, न ही हम मध्यस्थता कर रहे हैं. हम दोनों पक्षों के साथ ईमानदारी से बातचीत करते हैं और हर बातचीत के अंत में दूसरे पक्ष को यह बताते हैं कि हम क्या चर्चा कर रहे हैं.
युद्ध के कारण बहुत कुछ हो रहा प्रभावित
जयशंकर ने यह भी जोर दिया कि भारत वैश्विक दक्षिण के नजरिए को महत्व देता है, जो युद्ध के कारण प्रभावित हो रहे हैं. ऐसे में हम मानते हैं कि हमें वैश्विक दक्षिण की आवाज़ को सामने लाना चाहिए, जो इस युद्ध के कारण ईंधन लागत, खाद्य मूल्य, महंगाई और उर्वरक की कीमतों में वृद्धि से प्रभावित हो रहे हैं.