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हरियाणा में बुरी तरह फंसी थी बीजपी, RSS ने मैदान में उतरकर कैसे पलट दी हारी बाजी

विधानसभा चुनाव से पहले ही आरएसएस ने बीजेपी के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर को रोकने के लिए जमीन पर उतरकर काम करना शुरू कर दिया था.हरियाणा में बीजेपी के लिए हालात ठीक नहीं थे. अप्रेल-मई में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी हरियाणा में 10 में से 5 सीटें जीत पाईं थी. मतदाताओं के बीच में भी वो अपनी साख खो रही थी.

सोशल मीडिया
Hemraj Singh Chauhan

हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सभी एग्जिट पोल को झूठलाते हुए तीसरी बार शानदार जीत दर्ज की. बीजेपी के लिए ये जीत इसलिए बड़ी है क्योंकि सियासी जानकार दावा कर रहे थे राज्य में सत्ताधारी बीजेपी के खिलाफ भारी सत्ता विरोधी लहर है. लेकिन मंगलवार 8 अक्तूबर को जब चुनावी नतीजे तो बीजेपी ने राज्य की 90 सीटों में से 48 सीटें जीतकर अपने दम पर बहुमत हासिल कर लिया. बीजेपी के इस जीत को लेकर अब विश्लेषण भी शुरू हो गए हैं.

बताया जा रहा है कि बीजेपी ने हरियाणा में हारी बाजी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(आरएसएस) की बदौलत जीती. विधानसभा चुनाव से पहले ही आरएसएस ने बीजेपी के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर को रोकने के लिए जमीन पर उतरकर काम करना शुरू कर दिया था. इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक हरियाणा में बीजेपी के लिए हालात ठीक नहीं थे. अप्रेल-मई में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी हरियाणा में 10 में से 5 सीटें जीत पाईं थी. मतदाताओं के बीच में भी वो अपनी साख खो रही थी.

किसान आंदोलन से बीजेपी बैकफुट में आई
साल 2020-21 में मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ देश भर में किसान आंदोलन हुए. इसमें पंजाब और हरियाणा के किसानों की भागेदारी काफी ज्यादा रही. इसे हरियाणा की जनता के बीच में बीजेपी की लोकप्रियता में कमी आई. इसका असर जमीन पर भी दिखाई देने लगा. जमीनी कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं के बीच इसे लेकर अंसतोष बढ़ गया.  

RSS और बीजेपी नेताओं के बीच जुलाई में हुई बैठक
29 जुलाई को नई दिल्ली में आरएसएस के नेताओं और बीजेपी के बड़े नेताओं की नई दिल्ली में एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई. इस बैठक में आरएसएस के संयुक्त महासचिव अरुण कुमार, हरियाणा भाजपा प्रमुख मोहनलाल बारडोली और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान सहित प्रमुख लोग शामिल हुए. इस बैठक में बीजेपी को जमीनी स्तर पर दोबारा खड़ा करने पर फोकस किया गया. 

बैठक में क्या महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए?
इस बैठक में विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के चयन, ग्रामीण वोटरों के साथ संबंधों में सुधार, राज्य और केंद्र की लाभार्थी योजनाओं  को बढ़ावा देने का फैसला लिया गया. वहीं इसके  साथ-साथ पार्टी कार्यकर्ताओं और उम्मीदवारों के बीच समन्वय के संबंध में भी बड़े फैसले लिए गए. 

ग्रामीण मतदाताओं से जुड़ा RSS
सितंबर की शुरुआत में आरएसएस ने ग्रामीण इलाके के वोटरों से संपर्क साधना शुरू किया. हरियाणा के हर जनपद में आरएसएस ने 150 स्वंयसेवकों की तैनाती की. इसका उद्देश्य ग्रामीण मतदाताओं से सीधे जुड़ने के साथ ही बीजेपी के खिलाफ जो लहर थी उसे कम करना था. इस कार्यक्रम के जरिए स्थानीय पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं को सक्रियता बढ़ाने पर जोर दिया गया ताकि बीजेपी के खिलाफ नकारात्मक धारणा को खत्म कर सकारात्मक किया जाए. इस अभियान से बीजेपी को चुनावों में बहुत ज्यादा लाभ मिला.

दूसरों दलों के मजबूत उम्मीदवारों को टिकट देने की पैरवी
आरएसएस ने बीजेपी को सलाह दी कि वो दूसरों दलों के उन मजबूत उम्मीदवारों को अपने पाले में लाने की कोशिश करे. जिनकी पकड़ मतदाताओं के बीच काफी मजबूत है.इस रणनीति का मकसद निराश मतदाताओं को अपनी तरफ जोड़ना था. इसके साथ ही मनोहर लाल खट्टर की जगह मुख्यमंत्री बनाए गए नायब सिंह सैनी से ग्रामीण इलाकों का ज्यादा से ज्यादा दौरा करने को कहा गया.

सैनी ने खाप और पंचायत नेताओं से मुलाकात की जो खट्टर का कार्यकाल से खुश नहीं थे. आरएसएस ने सरकार और पार्टी के जमीनी स्तर के बीच की खाई को पाटने के लिए सैनी से ज्यादा से ज्यादा जमीनी स्तर पर काम करने को कहा.