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Pahalgam Attack: NIA की रिपोर्ट ने खोले आतंकी प्लान के राज, कैसे ISI और लश्कर की मिलीभगत बनी मासूमों की जान की दुश्मन

Pahalgam Attack: सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार, एनआईए की जांच में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. यह भी सामने आया है कि इस घटना के दौरान आतंकवादी अपने आकाओं से लगातार संपर्क में थे.

Ritu Sharma
Edited By: Ritu Sharma
NIA On Pahalgam Attack
Courtesy: Social Media

Pahalgam Attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की पड़ताल में बड़ा खुलासा सामने आया है. सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार इस हमले के पीछे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI और आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की सीधी साजिश है. NIA को जांच के दौरान ऐसे कई अहम सबूत हाथ लगे हैं जो इस षड्यंत्र की परतें खोल रहे हैं.

ISI की योजना, लश्कर का एक्शन

सूत्रों का कहना है कि लश्कर ने यह हमला ISI के सीधे इशारे पर अंजाम दिया. जांच में शामिल दो आतंकियों - हाशिम मूसा और अली भाई की पहचान पाकिस्तान मूल के रूप में हुई है. ये आतंकी हमले के दौरान लगातार पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं से संपर्क में थे और वहीं से दिशा-निर्देश भी मिल रहे थे.

NIA की जांच में अब तक क्या हुआ?

  • घटनास्थल की 3D मैपिंग की गई
  • 2800 से ज्यादा लोगों से पूछताछ
  • 150 से अधिक लोग हिरासत में
  • 40 से ज्यादा कारतूस फोरेंसिक जांच के लिए भेजे
  • CCTV फुटेज की गहन जांच
  • सेटेलाइट फोन के उपयोग की पुष्टि
  • होटल मालिक, दुकानदार, गाइड, जिपलाइन वर्कर आदि के बयान दर्ज
  • जमाते इस्लामी और हुर्रियत से जुड़े ठिकानों पर छापेमारी

ओवरग्राउंड वर्कर्स का मजबूत नेटवर्क

बता दें कि NIA को संदेह है कि प्रतिबंधित संगठनों ने आतंकियों की मदद के लिए ओवरग्राउंड वर्कर्स (OGW) का नेटवर्क तैयार किया. छापेमारी के दौरान देशविरोधी सामग्री भी बरामद हुई है. जिन लोगों के यहां रेड पड़ी, उनके कॉल रिकॉर्ड्स और संपर्कों की जांच की जा रही है. सूत्रों के मुताबिक, ''हमें ठोस सबूत मिले हैं कि कुछ प्रतिबंधित संगठनों के सदस्य OGW के साथ नियमित संपर्क में थे.''

पहले से प्लानिंग में लगे थे आतंकी

वहीं जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि हमलावर 15 अप्रैल को ही पहलगाम पहुंच चुके थे और रेकी कर रहे थे. उनके टारगेट पर पहलगाम के अलावा तीन अन्य स्थान भी थे. हमले से पहले तीन सेटेलाइट फोन का इस्तेमाल घाटी में किया गया था.

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