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Operation Sindoor: भारत के ड्रोन ने पाकिस्तान को कैसे बनाया 'अंधा'? दुश्मन की नजर में आए बिना ऐसे मचा रहे तबाही

Operation Sindoor: भारत और पाकिस्तान के बीच भारतीय ड्रोन ने अहम भूमिका निभाई है. आश्चर्य की बात है कि पाकिस्तान को भारतीय ड्रोन की भनक तक नहीं लगी. इसके पीछे भारत की उन्नत स्टेल्थ तकनीक और रणनीति है.

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Edited By: Babli Rautela
Operation Sindoor
Courtesy: Social Media

Operation Sindoor: भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव में ड्रोन युद्ध ने अहम भूमिका निभाई है. भारतीय ड्रोन जहां लाहौर तक पहुंचकर पाकिस्तानी रेडार सिस्टम को नष्ट करने में सफल रहे, वहीं पाकिस्तानी ड्रोन को भारत ने तुरंत पकड़कर नष्ट कर दिया. आश्चर्य की बात है कि पाकिस्तान को भारतीय ड्रोन की भनक तक नहीं लगी. इसके पीछे भारत की उन्नत स्टेल्थ तकनीक और रणनीति है.

भारतीय सेना ने हारोप और स्वदेशी स्वार्म ड्रोन का इस्तेमाल किया, जो लो-ऑब्जर्वेबल (LO) तकनीक से लैस हैं. इन ड्रोन का रेडार क्रॉस सेक्शन (RCS) छोटा होता है, जिससे रेडार उन्हें नहीं पकड़ पाता. इनकी सतह पर रेडियो वेव्स को अवशोषित करने वाली सामग्री होती है. साथ ही, ये कम ऊंचाई पर उड़ते हैं, जिससे रेडार की लाइन-ऑफ-साइट से बच जाते हैं और ग्राउंड क्लटर में छिप जाते हैं. कामिकaze ड्रोन, जैसे हारोप, लक्ष्य पर हमला कर खुद नष्ट हो जाते हैं. 

स्वार्म टेक्नोलॉजी का कमाल

भारत ने स्वार्म टेक्नोलॉजी का उपयोग किया, जिसमें कई छोटे ड्रोन एक साथ हमला करते हैं. ये ड्रोन समन्वित तरीके से उड़ते हैं, जिससे रेडार उन्हें पक्षियों का झुंड समझकर भ्रमित हो जाता है. इसके अलावा, भारत ने इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग का सहारा लिया, जिसने पाकिस्तानी रेडार और कम्युनिकेशन सिस्टम को अस्थिर कर दिया. हारोप ड्रोन में एंटी-रेडिएशन सीकर होता है, जो रेडार सिग्नल्स को पकड़कर उन्हें नष्ट करता है.

रेडार कैसे काम करता है?

रेडार रेडियो वेव्स के जरिए आसमान में वस्तुओं का पता लगाता है. ये वेव्स किसी वस्तु से टकराकर लौटती हैं, और उनकी टाइमिंग व फ्रीक्वेंसी शिफ्ट से वस्तु की दूरी, गति और दिशा का पता चलता है. छोटे ड्रोन, खासकर कम ऊंचाई पर उड़ने वाले, रेडार के लिए मुश्किल लक्ष्य होते हैं, क्योंकि वे ग्राउंड क्लटर में छिप जाते हैं.

भारत के S-400, आकाश, और स्पाइडर जैसे एयर डिफेंस सिस्टम पाकिस्तानी ड्रोन को तुरंत पकड़ लेते हैं, जबकि पाकिस्तान के HQ-9 और HQ-16 सिस्टम भारतीय स्टेल्थ ड्रोन के सामने अप्रभावी साबित हुए. भारत का काउंटर-UAS ग्रिड छोटे ड्रोन को भी ट्रैक कर सकता है.