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India Daily

Online Gaming Bill 2025: ऑनलाइन गेमिंग बिल बना कानून, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दी मंजूरी, रियल मनी गेम्स पर लगा बैन

ऑनलाइन गेमिंग राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी के बाद कानून बन गया है. इस बिल को गुरूवार को राज्यसभा से पारित करा लिया गया था, लोकसभा में इस बिल को बुधवार को मंजूरी मिली थी.

Droupadi Murmu's assent
Courtesy: Social media

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी के बाद ऑनलाइन गेमिंग बिल कानून बन गया है. इस बिल के काननू बनने के बाद रियल मनी गेम्स पर पूरी तरह से पाबंदी लग गई है. ऑनलाइन गेमिंग संवर्धन एवं विनियमन विधेयक, 2025 को गुरुवार को राज्यसभा और बुधवार को लोकसभा से पेश किया गया था.

ये कानून सभी ऑनलाइन मनी गेमिंग सेवाओं पर प्रतिबंध लगाता है. इस कानून का दुरुपयोग करने पर ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों पर तीन वर्ष तक की कैद और 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लग सकता है. सरकार का तर्क था कि रियल मनी गेम ऐप्स की वजह से देश में बड़ी संख्या में लोग प्रभावित हुए.

विज्ञापन करने पर भी सजा और जुर्माना

ऐसे प्लेटफॉर्म पर विज्ञापन करने पर दो साल तक की सजा और 50 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है. उच्च सदन में ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 को 26 मिनट में पारित कर दिया गया था. वहीं लोकसभा में विपक्ष की नारेबाजी के बीच इसे सात मिनट में पारित कर दिया गया था. विपक्ष बिहार SIR लेकर लेकर वोट चोरी के मुद्दे पर बहस की मांगकर रहा था.

'जीवन भर की कमाई गंवा रहे लोग'

राज्यसभा में ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 को पेश करते समय केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया था कि ऑनलाइन मनी गेमिंग खतरनाक लत में बदलता जा रहा है. लोग अपनी जीवन भर की जमा-पूंजी गँवा रहे हैं. सरकारी आंकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि इसे खेलने वाले 45 करोड़ लोगों को ऑनलाइन मनी गेमिंग प्लेटफॉर्म्स के की वजह से 20,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है.

बिल की खूबियां क्या हैं?

कैबिनेट मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस बिल की खूबियां बताते हुए कहा कि ये बिल भारत को गेमिंम का हब बनाने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है. ये बिल ई-स्पोर्ट्स और ऑनलाइन सोशल गेम्स को प्रोत्साहित करेगा, इसके साथ ही, यह हमारे समाज को ऑनलाइन मनी गेम्स के हानिकारक प्रभावों से भी बचाएगा. इस इंडस्ट्री का प्रतिनिधित्व करने वाले उद्योग निकायों ने इस बिल को कई प्रावधानों को लेकर नाराजगी व्यक्त की. उनका तर्क है कि प्रतिबंध लगाने से विदेशी ऑपरेटरों को लाभ होगा जबकि अनुपालन करने वाली घरेलू कंपनियों को नुकसान होगा.