Vice president of India: 5 साल का होता है कार्यकाल या बचा हुआ टर्म पूरा करते हैं नए उपराष्ट्रपति? जानें क्या कहता है संविधान
संविधान के मुताबिक उपराष्ट्रपति का पद 6 महीने से ज्यादा खाली नहीं रह सकता है. इसलिए चुनाव आयोग ने 9 सितंबर को चुनाव का ऐलान किया है. इस कड़ी में एनडीए ने रविवार 17 अगस्त को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है.
Vice president of India: पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद से भारत के उपराष्ट्रपति का पद खाली है. संविधान के मुताबिक ये पद 6 महीने से ज्यादा खाली नहीं रह सकता है. इसलिए चुनाव आयोग ने 9 सितंबर को चुनाव का ऐलान किया है. इस कड़ी में एनडीए ने रविवार 17 अगस्त को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है.
एनडीए ने सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है. अब देखना अहम होगा कि विपक्ष की ओर से किसे मैदान में उतारा जाएगा. इस बीच एक सवाल ये भी है कि चुने हुए नए उपराष्ट्रपति बचे हुए कार्यकाल को पूरा करेंगे या फिर उन्हें 5 साल का कार्यकाल पूरा करने को मिलेगा. आइये जानते हैं इसपर क्या कहता है संविधान?
नए उपराष्ट्रपति को मिलेगा पूर्ण कार्यकाल
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 67 के अनुसार, अगर उपराष्ट्रपति अपने कार्यकाल के बीच में इस्तीफा देते हैं, तो नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति को पदभार ग्रहण करने की तारीख से पूरे पांच साल का कार्यकाल मिलता है. यह पिछले उपराष्ट्रपति के शेष कार्यकाल पर निर्भर नहीं करता. अनुच्छेद 68 में यह साफ़ है कि अगर उपराष्ट्रपति का पद मृत्यु, इस्तीफे या हटाए जाने के कारण खाली होता है, तो जल्द से जल्द नए उपराष्ट्रपति का चुनाव करना अनिवार्य है. 2002 में ऐसा ही एक उदाहरण देखने को मिला, जब उपराष्ट्रपति कृष्णकांत का निधन हो गया था. उनके निधन के बाद भैरों सिंह शेखावत को उपराष्ट्रपति चुना गया, जिन्होंने पूरे पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा किया.
उपराष्ट्रपति का चुनाव: प्रक्रिया और नियम
उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों द्वारा गठित निर्वाचक मंडल (इलेक्टोरल कॉलेज) के जरिये से होता है. यह चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति (सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम) से किया जाता है. इसमें कुल 788 सदस्य वोट डालते हैं, जिनमें राज्यसभा के 233 चुने हुए और 12 मनोनीत सदस्य, साथ ही लोकसभा के 543 चुने हुए सदस्य शामिल हैं. वोटिंग प्रक्रिया में मतदाता अपनी प्राथमिकता के आधार पर उम्मीदवारों को नंबर देते हैं. पहली पसंद को '1', दूसरी को '2' और इसी तरह आगे की प्राथमिकताएं दर्ज की जाती हैं. यह प्रणाली सुनिश्चित करती है कि निर्वाचन में मतदाताओं की प्राथमिकता का सटीक प्रतिनिधित्व हो.
उपराष्ट्रपति की जिम्मेदारियां
उपराष्ट्रपति की संवैधानिक जिम्मेदारियां सीमित हैं, लेकिन राज्यसभा के सभापति के रूप में उनकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है. इसके अलावा, यदि राष्ट्रपति का पद किसी कारणवश खाली हो जाता है, तो उपराष्ट्रपति को राष्ट्रपति की जिम्मेदारियां निभानी पड़ती हैं. देश के प्रोटोकॉल में उपराष्ट्रपति का स्थान राष्ट्रपति के बाद और प्रधानमंत्री से पहले आता है.