New Criminal Codes: IPC, CrPC और एविडेंट एक्ट यानी यानी भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह आज से 3 नए आपराधिक कानून लागू होंगे. भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम औपनिवेशिक युग के कानूनों का स्थान लेंगे.
तीन नए आपराधिक कानून के लागू होने के बाद देश में क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में कई चेंज आएंगे. इसके तहत आपराधिक मामलों में सुनवाई समाप्त होने के 45 दिनों के भीतर निर्णय सुनाया जाएगा. पहली सुनवाई के 60 दिनों के भीतर आरोप तय किए जाएंगे. साथ ही सभी राज्य सरकारों को गवाहों की सुरक्षा और सहयोग सुनिश्चित करने के लिए गवाह सुरक्षा योजनाएं लागू करनी होंगी.
रेप पीड़ितों के बयान महिला पुलिस अधिकारी की ओर से विक्टिम के पैरेंट्स या रिश्तेदार की मौजूदगी में दर्ज किए जाएंगे. मेडिकल रिपोर्ट सात दिनों के भीतर पूरी होनी चाहिए. नए कानूनों में एक नया अध्याय महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों को संबोधित करता है. इसके तहत बच्चे को खरीदना या बेचना एक जघन्य अपराध की श्रेणी में आएगा, जिसके लिए कड़ी सज़ा का प्रावधान है. नाबालिग के साथ सामूहिक बलात्कार के लिए मौत की सज़ा या आजीवन कारावास की सज़ा हो सकती है.
कानून में अब उन मामलों के लिए दंड का प्रावधान भी शामिल है जहां महिलाओं को शादी के झूठे वादे करके गुमराह करके छोड़ दिया जाता है. महिलाओं के खिलाफ अपराध के पीड़ितों को 90 दिनों के भीतर अपने मामलों पर नियमित अपडेट प्राप्त करने का अधिकार है. सभी अस्पतालों को महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध के पीड़ितों को मुफ्त प्राथमिक उपचार या चिकित्सा उपचार प्रदान करना आवश्यक होगा.
आरोपी और पीड़ित दोनों को 14 दिनों के भीतर एफआईआर, पुलिस रिपोर्ट, चार्जशीट, बयान, इकबालिया बयान और अन्य दस्तावेजों की प्रतियां प्राप्त करने का अधिकार होगा. मामले की सुनवाई में अनावश्यक देरी से बचने के लिए अदालतों को अधिकतम दो स्थगन की अनुमति है.
अब पीड़ितों के बयान मोबाइल के जरिए वीडियो-ऑडियो फॉर्मेंट में दर्ज किए जाएंगे, जिससे पुलिस स्टेशन जाने की जरूरत नहीं होगी. जीरो एफआईआर की शुरुआत से व्यक्ति किसी भी पुलिस स्टेशन में, चाहे उसका क्षेत्राधिकार कुछ भी हो, प्राथमिकी दर्ज करा सकता है.
गिरफ्तार व्यक्ति को अपनी स्थिति के बारे में अपनी पसंद के व्यक्ति को सूचित करने का अधिकार है, ताकि उसे तत्काल सहायता मिल सके. गिरफ्तारी का विवरण पुलिस स्टेशनों और जिला मुख्यालयों में प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाएगा ताकि परिवार और मित्र आसानी से इसे देख सकें.
अब गंभीर अपराधों के लिए फोरेंसिक विशेषज्ञों का घटनास्थल पर जाना और साक्ष्य एकत्र करना अनिवार्य होगा. इसके अलावा, महिलाओं के खिलाफ़ कुछ अपराधों के लिए, जहां तक संभव हो, पीड़ित का बयान महिला मजिस्ट्रेट की ओर से ही दर्ज किया जाना होगा. अगर कोई पुरुष मजिस्ट्रेट उपलब्ध न हो तो महिला की मौजूदगी में बयान दर्ज किया जाना होगा. बलात्कार से संबंधित बयान ऑडियो-वीडियो माध्यम से दर्ज किए जाएंगे.