सिर्फ 13 दिन की जंग में ही पाकिस्तान ने भारतीय सेना के आगे टेक दिए थे घुटने, जानें क्या है विजय दिवस की अमर कहानी

1971 में 13 दिन के युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को हराया और बांग्लादेश का निर्माण हुआ. 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों के आत्मसमर्पण के साथ यह इतिहास की सबसे बड़ी सैन्य जीत बनी.

@myogiadityanath x account
Km Jaya

नई दिल्ली: 16 दिसंबर 1971 भारतीय इतिहास का वह दिन है, जिसने दक्षिण एशिया की राजनीति और भूगोल दोनों बदल दिए. इसी दिन भारतीय सेना ने पाकिस्तान को निर्णायक रूप से पराजित किया और बांग्लादेश नामक नए राष्ट्र का जन्म हुआ. यह युद्ध केवल 13 दिनों तक चला, लेकिन इसका असर दशकों तक महसूस किया गया. पाकिस्तान की सेना ने ढाका में 93 हजार सैनिकों के साथ आत्मसमर्पण किया, जिसे विश्व इतिहास का सबसे बड़ा सैन्य सरेंडर माना जाता है.

इस संघर्ष की जड़ें 1947 में पाकिस्तान के गठन से जुड़ी थीं. पाकिस्तान दो हिस्सों में बंटा था, पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान. पूर्वी पाकिस्तान की आबादी अधिक थी, लेकिन सत्ता और फैसले पश्चिमी पाकिस्तान के हाथों में थे. बांग्ला भाषा को राष्ट्रीय भाषा का दर्जा न देना, आर्थिक और राजनीतिक भेदभाव, और सांस्कृतिक अपमान ने पूर्वी पाकिस्तान में असंतोष को जन्म दिया.

कब हुआ था भाषा आंदोलन?

1952 का भाषा आंदोलन इस असंतोष की पहली बड़ी अभिव्यक्ति था, जिसमें कई छात्रों की जान गई. समय के साथ यह आंदोलन राजनीतिक रूप लेने लगा. अवामी लीग और शेख मुजीबुर्रहमान के नेतृत्व में पूर्वी पाकिस्तान के लोग अपने अधिकारों की मांग करने लगे. 1970 के आम चुनाव में अवामी लीग को स्पष्ट जनादेश मिला, लेकिन सत्ता हस्तांतरण रोक दिया गया. इससे हालात और बिगड़ गए.

कब शुरु हुआ ऑपरेशन सर्चलाइट?

पाकिस्तानी सेना ने ऑपरेशन सर्चलाइट 25 मार्च 1971 को शुरू किया, जिसके बाद ढाका और अन्य इलाकों में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई. छात्रों, बुद्धिजीवियों और अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया गया. लाखों लोग जान बचाकर भारत आए. भारत पर शरणार्थियों का भारी दबाव पड़ा और मानवीय संकट गहराने लगा.

भारतीय सेना ने पाक को कैसे लाया घुटनों पर?

प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस मुद्दे को उठाया, लेकिन जब दुनिया चुप रही तो भारत ने हस्तक्षेप का फैसला किया. 3 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान के हमले के बाद भारत सीधे युद्ध में उतरा. भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना के संयुक्त अभियान ने 13 दिनों में पाकिस्तान को घुटनों पर ला दिया.

16 दिसंबर 1971 को बांग्लादेश स्वतंत्र राष्ट्र बना. विजय दिवस केवल सैन्य जीत का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह मानवता, साहस और दूरदर्शी नेतृत्व की मिसाल भी है. आज जब बांग्लादेश फिर राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहा है, यह दिन उस इतिहास की याद दिलाता है, जब अत्याचार के खिलाफ निर्णायक कदम उठाया गया था.