मणिपुर में सविनय अवज्ञा आंदोलन होगा शुरू, गवर्नर की माफी न मांगने पर मैतेई समूह का विरोध

मणिपुर में यह आंदोलन राज्य की पहचान और सम्मान की रक्षा के लिए एकजुटता का प्रतीक है. गवर्नर और प्रशासन के खिलाफ COCOMI का यह कदम मणिपुर के लोगों की भावनाओं को दर्शाता है, जो अपनी विरासत को बचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.

Social Media
Mayank Tiwari

मणिपुर में एक प्रमुख मेइतेई संगठन, कोऑर्डिनेटिंग कमेटी ऑन मणिपुर इंटीग्रिटी (COCOMI) ने रविवार (25 मई) से राज्यव्यापी सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू करने की घोषणा की है. यह आंदोलन गवर्नर अजय कुमार भल्ला द्वारा सरकारी बस से मणिपुर का नाम हटाने के लिए माफी न मांगने के विरोध में है, जिसने व्यापक असंतोष को जन्म दिया है. 

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, COCOMI ने शनिवार को बयान जारी कर कहा कि गवर्नर को सार्वजनिक माफी मांगने के लिए दी गई 48 घंटे की समय सीमा समाप्त हो चुकी है, संगठन ने इसे "जमीनी हकीकत से कटाव और लोगों की भावनाओं के प्रति तिरस्कार" का प्रतीक बताया.

गवर्नर का बहिष्कार और आंदोलन की योजना

COCOMI ने घोषणा की कि "गवर्नर का सभी सार्वजनिक, सिविल और सांस्कृतिक मंचों द्वारा बहिष्कार किया जाएगा और कोई भी व्यक्ति उनके साथ किसी समारोह में भाग नहीं लेगा, न ही उन्हें आमंत्रित करेगा, जब तक कि सार्वजनिक माफी न मांगी जाए." संगठन ने राज्य के विभिन्न जिलों में अहिंसक जन प्रदर्शन, रैलियां, मशाल जुलूस और धरने आयोजित करने की योजना बनाई है. इसके साथ ही, नागरिकों से केंद्र सरकार के कार्यालयों के साथ सहयोग बंद करने का आह्वान किया गया है, जिसे "प्रशासन के खिलाफ सविनय अवज्ञा अभियान" का हिस्सा बताया गया है। मणिपुर में 13 फरवरी को राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था.

अधिकारियों के इस्तीफे की मांग

COCOMI ने सुरक्षा सलाहकार, डीजीपी और मुख्य सचिव के तत्काल इस्तीफे की मांग दोहराई, जिन्हें "इस अपमानजनक कृत्य को सक्षम करने और उससे बचने" का जिम्मेदार ठहराया गया. संगठन ने राज्य सरकार द्वारा गठित जांच समिति को खारिज करते हुए एक स्वतंत्र जांच की मांग की, जिसका नेतृत्व किसी रिटायर्ड सत्र या उच्च न्यायालय के जज द्वारा होना है.

मणिपुर की पहचान की रक्षा

COCOMI ने अपने बयान में कहा, "यह आंदोलन शांति के खिलाफ नहीं है. यह नारको आतंक के खतरों के सामने शासन के समर्पण, मणिपुर के लोगों के अलगाव और राष्ट्रपति शासन के नाम पर हमारी पहचान मिटाने के खिलाफ है. मणिपुर कोई सौदेबाजी का शब्द नहीं है। यह हमारा नाम, हमारी आत्मा और हमारी विरासत है. हम तब तक इसका बचाव करेंगे जब तक न्याय नहीं मिलता."

जानिए क्या है मामला?

मंगलवार को उखरूल जिले में ‘शिरुई लिली’ उत्सव को कवर करने जा रहे पत्रकारों को ले जा रही एक सरकारी बस को सुरक्षा बलों ने कथित तौर पर रोका और सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय के अधिकारियों को बस के विंडशील्ड पर लिखे मणिपुर के नाम को सफेद कागज से ढकने के लिए मजबूर किया. इसके विरोध में COCOMI ने बुधवार शाम को 48 घंटे की हड़ताल बुलाई थी.