नई दिल्ली: पशु अधिकार कार्यकर्ता और भाजपा सांसद मेनका गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश की कड़ी आलोचना की है. जिसमें शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों, बस और रेलवे स्टेशनों के परिसरों से आवारा कुत्तों को हटाने और उन्हें शेल्टर होम्स में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने यह कदम देशभर में बढ़ते डॉग बाइट मामलों पर रोक लगाने के लिए उठाया था.
मेनका गांधी ने शुक्रवार को इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह आदेश 'जस्टिस पारदीवाला के फैसले जितना ही खराब या उससे भी बुरा' है. उन्होंने सवाल उठाया कि देश में इतने बड़े पैमाने पर आवारा कुत्तों को हटाना और उनके लिए सुरक्षित ठिकाने बनाना व्यावहारिक रूप से असंभव है.
#WATCH | SC ordered removal of all stray dogs from the premises of educational institutions, hospitals, bus and railway stations and directed that they won’t be released back in the same area after sterilisation.
Animal rights activist & BJP leader Maneka Gandhi says, "This is… pic.twitter.com/ticMUrhtDS— ANI (@ANI) November 7, 2025Also Read
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उन्होंने कहा, 'अगर 5000 कुत्तों को हटा भी दिया जाए, तो उन्हें रखा कहां जाएगा? इसके लिए 50 शेल्टर चाहिए होंगे, जो हमारे पास हैं ही नहीं. इतने लोगों की जरूरत होगी जो उन्हें उठाएं और संभालें. अगर यहां 8 लाख कुत्ते हैं, तो 5000 हटाने से क्या फर्क पड़ेगा?'
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि नसबंदी के बाद इन कुत्तों को दोबारा उनके पुराने इलाकों में छोड़ा नहीं जाएगा. कोर्ट ने नगर निगमों और स्थानीय निकायों को निर्देश दिया है कि वे शेल्टर होम्स की निगरानी करें और यह सुनिश्चित करें कि ये स्थान सुरक्षित, घिरे हुए और पर्याप्त रूप से प्रबंधित हों. कोर्ट का मानना है कि इस कदम से सार्वजनिक स्थानों पर कुत्तों के हमलों और काटने की घटनाओं में कमी आएगी.
मेनका गांधी ने इस फैसले को न केवल अव्यावहारिक बताया बल्कि इसे पशु अधिकारों का हनन भी कहा. उन्होंने कहा कि इस आदेश के परिणामस्वरूप हजारों कुत्तों की जान को खतरा हो सकता है, क्योंकि अधिकांश शहरों में न तो पर्याप्त शेल्टर हैं और न ही प्रशिक्षित स्टाफ. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर यह आदेश लागू किया गया, तो इससे सड़कों पर कुत्तों को पकड़ने और स्थानांतरित करने के दौरान हिंसा और अव्यवस्था बढ़ सकती है.
पशु प्रेमी संगठनों ने भी इस आदेश का विरोध किया है. उनका कहना है कि कोर्ट को 'एनीमल बर्थ कंट्रोल रूल्स 2023' के तहत पहले से मौजूद उपायों को सख्ती से लागू कराने पर ध्यान देना चाहिए, न कि कुत्तों को उनके पर्यावरण से पूरी तरह अलग करने पर.