Madhya Pradesh Election 2023 MP new government Challenges: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे 3 दिसंबर को आएंगे. राज्य में जो भी नई सरकार आएगी, उसके सामने चुनौतियां बड़ी होंगी. राज्य पर 3.85 लाख करोड़ का कर्ज है. राज्य की आबादी के लिहाज से इस आंकड़े को देखा जाए, तो मध्य प्रदेश के हर नागरिक पर 47 हजार रुपये का कर्ज है. राज्य सरकार हर साल सरकारी खजाने से करीब 20 हजार करोड़ रुपये सिर्फ ब्याज चुकाती है, ये जिम्मेदारी भी राज्य की नई सरकार को उठानी होगी.
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए तारीखों के एलान और वोटिंग से पहले तक राज्य में चुनाव लड़ रही पार्टियों ने कई चुनावी वादे किए हैं. दरअसल, सवाल ये है कि जब राज्य सरकार पहले से कर्ज में डूब हुई है, ऐसे में राज्य की नई सरकार आखिर जनता से किए गए अपने वादों को कैसे पूरा करेगी?
वर्तमान फाइनेंसियल बजट के मुताबिक, राज्य सरकार की कमाई करीब 2.25 लाख करोड़ है, जबकि जो खर्च होता है, वो इस कमाई से 54 हजार करोड़ रुपये अधिक है. इस लिहाज से देखा जाए तो राज्य में जो भी नई सरकार बनेगी, उसे वर्तमान बजट से ज्यादा रकम की जरूरत होगी.
राज्य सरकार का फाइनेंशियल इयर 2023-24 का बजट 3.14 लाख करोड़ रुपए का है. इस बजट में से 26 फीसदी से अधिक वेतन, भत्ता और ब्याज को अदा करने में खर्च होता है. इस 26 फीसदी खर्च को अलग-अलग बांटकर देखा जाए तो फाइनेंशियल इयर खत्म होने तक राज्य सरकार बजट का 18 फीसदी से अधिक यानी करीब 56 हजार 341 करोड़ रुपए अकेले वेतन, भत्ता पर खर्च करेगी, जबकि 6.17 फीसदी रकम यानी 18 हजार 636 करोड़ रुपए पेंशन पर खर्च होंगे. वहीं, 7.56 फीसदी यानी 22 हजार 850 करोड़ रुपये ब्याज को अदा करने पर खर्च होगा.
राज्य में विपक्ष की भूमिका निभा रही कांग्रेस ने राज्य सरकार की ओर से बार-बार कर्ज लेने पर पहले भी सवाल भी उठाए थे और अभी भी उठाती है. पूर्व की कमलनाथ सरकार में वित्त विभाग संभालने वाले तरुण भनोट ने कहा कि शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश के हर नागरिक पर कर्ज का बोझ बढ़ा दिया है. उन्होंने ये भी कहा कि अगर राज्य में एक बार फिर कांग्रेस की सरकार बनाती है, तो सरकारी खजाने को मजबूत किया जाएगा. उधर, कांग्रेस के लगातार सवाल उठाने के बाद शिवराज सिंह चौहान भी कह चुके हैं कि वे आरबीआई की गाइडलाइन के मुताबिक ही कर्ज लेते हैं.
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने 31 मार्च 2023 में एक रिपोर्ट जारी की थी. रिपोर्ट के मुताबिक, मध्य प्रदेश अपनी कमाई का 28.8 फीसदी हिस्सा फ्रीबीज पर खर्च कर देता है. इस मामले में देश में पंजाब सबसे ऊपर है. पंजाब अपनी कमाई का 35.4 फीसदी हिस्सा फ्रीबीज पर खर्च करता है.