फाइटर जेट सुखोई के टायर पर चलेगा भगवान जगन्नाथ का रथ, कोलकाता के पुजारी की 20 साल की मेहनत लाई रंग
इस्कॉन कोलकाता के उपाध्यक्ष राधा रमण दास ने बताया कि 2005 में उन्होंने देखा कि रथ के बोइंग 747 टायर खराब हो रहे थे. इसके बाद, 2018 में पता चला कि सुखोई जेट के टायरों का आकार बोइंग टायरों जैसा ही है.

कोलकाता में इस्कॉन रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ का रथ अब नए सुखोई फाइटर जेट के टायरों पर चलेगा. 48 साल तक इस रथ में बोइंग 747 विमान के टायर इस्तेमाल होते थे, लेकिन अब इन्हें बदल दिया गया है. इस बदलाव के पीछे 20 साल की मेहनत और एक अनोखी कहानी है.
इस्कॉन कोलकाता के उपाध्यक्ष राधा रमण दास ने बताया कि 2005 में उन्होंने देखा कि रथ के बोइंग 747 टायर खराब हो रहे थे. इसके बाद, 2018 में पता चला कि सुखोई जेट के टायरों का आकार बोइंग टायरों जैसा ही है. इसके लिए इस्कॉन ने टायर निर्माता कंपनी एमआरएफ से संपर्क किया.
20 साल की मेहनत रंग लाई
राधा रमण दास ने बताया कि एमआरएफ को यह अनुरोध अजीब लगा कि रथ के लिए सुखोई के टायर चाहिए. कंपनी ने इसकी पुष्टि के लिए अपने एक वरिष्ठ अधिकारी को भेजा. 20 साल की लंबी प्रतीक्षा के बाद, इस साल एमआरएफ ने जवाब दिया और सुखोई के टायर उपलब्ध कराए. दास ने कहा, "हाल ही में भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच सुखोई टायरों का इस्तेमाल हुआ. शायद भगवान जगन्नाथ शांति का संदेश दे रहे हैं."
रथ यात्रा का इतिहास
कोलकाता में इस्कॉन रथ यात्रा की शुरुआत 1972 में एक छोटे रथ से हुई थी, जिसमें तीन मूर्तियां थीं. पांच साल बाद, एक भक्त ने भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के लिए नए रथ दान किए. उस समय भगवान जगन्नाथ के रथ में बोइंग जेट के पुराने टायर लगाए गए थे.
एमआरएफ का आश्चर्य
राधा रमण दास ने एनडीटीवी को बताया कि जब इस्कॉन ने एमआरएफ से सुखोई टायर मांगे, तो कंपनी हैरान रह गई. उन्होंने बताया, "हमें कहा गया कि इन टायरों का एकमात्र दूसरा ग्राहक भारतीय वायुसेना है." फिर भी, एमआरएफ ने टायर दिए और हाल ही में रथ के साथ इनका परीक्षण भी किया गया.
शांति का संदेश
रथ के नए टायरों का परीक्षण सफल रहा. राधा रमण दास का मानना है कि मौजूदा हालात में यह बदलाव एक खास संदेश देता है. उन्होंने कहा, "शायद भगवान जगन्नाथ हमें बता रहे हैं कि शांति ही सबसे अच्छा रास्ता है." यह अनोखी कहानी न केवल तकनीक और आस्था के मेल को दर्शाती है, बल्कि लोगों के बीच चर्चा का विषय भी बन गई है.