दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) वीके सक्सेना ने हाल ही में दिल्ली पुलिस कमिश्नर को एक पत्र भेजकर राजधानी में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का आदेश दिया है. इस पत्र में एलजी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि पुलिस को विशेष अभियान चलाकर अगले दो महीने में इन अवैध प्रवासियों पर कार्रवाई करनी चाहिए. यह कदम उस महत्वपूर्ण मुलाकात के बाद उठाया गया, जो उन्होंने हजरत निजामुद्दीन और बस्ती हजरत निजामुद्दीन के उलेमाओं और मुस्लिम नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल से की थी.
बांग्लादेशी घुसपैठियों का मुद्दा
इस मुलाकात के दौरान प्रतिनिधिमंडल ने बांग्लादेश में हिंदू और अन्य अल्पसंख्यकों की स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की. इसके साथ ही उन्होंने दिल्ली में रह रहे अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों के बारे में भी अपनी चिंता जाहिर की और उनकी पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की. बांग्लादेशी नागरिकों के बारे में ये चिंताएं काफी समय से उठाई जा रही हैं, क्योंकि दिल्ली में कई क्षेत्रों में इनकी संख्या बढ़ती जा रही है. अवैध प्रवासियों के बारे में यह आरोप भी है कि वे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं, क्योंकि उनकी मौजूदगी में सरकारी रिकार्ड्स और जांच में गड़बड़ी हो सकती है.
उपराज्यपाल का आदेश और पुलिस कार्रवाई
एलजी वीके सक्सेना ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि वह अगले दो महीने में एक विशेष अभियान चलाकर राजधानी में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों की पहचान करे और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे. उनका मानना है कि इस मुद्दे पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है, ताकि राष्ट्रीय सुरक्षा और कानून-व्यवस्था बनाए रखी जा सके. पुलिस को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया गया है कि इन घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें देश से बाहर किया जाए, ताकि किसी भी तरह की अव्यवस्था और घुसपैठ को रोका जा सके.
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया
दिल्ली में अवैध बांग्लादेशी नागरिकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर राजनीतिक और सामाजिक हलकों में मिलीजुली प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं. कुछ लोग इसे एक सकारात्मक कदम मानते हुए इसे देश की सुरक्षा और नागरिकों की सुरक्षा के लिए जरूरी बताते हैं. वहीं दूसरी ओर, कुछ आलोचक इसे एक ऐसे मुद्दे के रूप में देख रहे हैं, जो एक समुदाय विशेष को निशाना बनाता है और सामाजिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा दे सकता है.