बधाई हो ISRO... आसमान में हासिल की नई उपलब्धि, ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बना भारत
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी ISRO के लिए गुरुवार की सुबह खास रही. आज संगठन ने स्पैडेक्स उपग्रहों को सफलतापूर्वक डॉक कर लिया. इसी के साथ भारत दुनिया में ऐसा करने वाला चौथा इंसान बन गया है.
ISRO Spadex mission: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अंतरिक्ष में अपने स्पैडेक्स उपग्रहों को सफलतापूर्वक डॉक कर लिया है. इसी के साथ भारत मिलन, डॉकिंग और अनडॉकिंग क्षमताओं वाला चौथा देश बन गया. इसरो द्वारा गुरुवार की सुबह डॉकिंग प्रयोग किया गया. स्पैडेक्स मिशन में दो उपग्रह शामिल थे. जिसमें SDX01 (चेज़र) और SDX02 (लक्ष्य) शामिल है. जिनमें से प्रत्येक का वजन लगभग 220 किलोग्राम था, दोनों अंतरिक्ष की ठंड में अपना रास्ता बनाते हुए डॉकिंग के लिए एक साथ संरेखित हुए.
इस बात की जानकारी देते हुए इसरो ने सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर किया. जिसमें इसरो की ओर से बताया गया कि 15 मीटर से 3 मीटर होल्ड पॉइंट तक पैंतरेबाज़ी पूरी हुई. डॉकिंग की शुरुआत सटीकता के साथ हुई, जिससे अंतरिक्ष यान को सफलतापूर्वक कैप्चर किया गया. इसी के साथ डॉकिंग सफलतापूर्वक पूरी हुई.
कैसे हुई डॉकिंग की तैयारी?
श्री हरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से PSLV C60 रॉकेट पर 30 दिसंबर, 2024 को प्रक्षेपित किए गए उपग्रहों को शुरू में 475 किलोमीटर की गोलाकार कक्षा में स्थापित किया गया था. कई युद्धाभ्यासों के बाद उन्होंने सफलतापूर्वक डॉकिंग करने से पहले 1.5 किलोमीटर की शुरुआती दूरी को घटाकर सिर्फ़ 3 मीटर कर दिया. इसरो ने शुरू में डॉकिंग को 7 जनवरी और फिर 9 जनवरी के लिए निर्धारित किया था, लेकिन तकनीकी चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिसके कारण इसे स्थगित करना पड़ा. भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने फिर 11 जनवरी को डॉकिंग का प्रयास किया, लेकिन डॉकिंग से कुछ क्षण पहले इसे रद्द कर दिया गया. हालांकि अब सावधानीपूर्वक मूल्यांकन और समायोजन के बाद इसरो ने पुष्टि की कि दोनों उपग्रह अच्छी स्थिति में हैं और डॉकिंग प्रक्रिया के लिए तैयार हैं. सफल हैंडशेक को अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत की आकांक्षाओं के लिए एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में मनाया जा रहा है.
चंद्रयान-4 मिशन का खुला रास्ता
डॉकिंग भारत को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में वैश्विक नेताओं में से एक बनाने काम करेगा. यह सफल प्रदर्शन भविष्य के मिशनों के लिए महत्वपूर्ण है, जिसमें चंद्र अन्वेषण और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (बीएएस) का विकास शामिल है. स्पेडेक्स मिशन न केवल इसरो की इंजीनियरिंग क्षमताओं का एक मुख्य आकर्षण है, बल्कि अंतरिक्ष में भारत की बढ़ती महत्वाकांक्षाओं को भी दर्शाता है. इस ऐतिहासिक उपलब्धि के साथ, भारत संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों के एक विशिष्ट समूह में शामिल हो गया है. जिन्होंने अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक में महारत हासिल की है. यह क्षमता जटिल मिशनों के लिए आवश्यक है, जिसमें कई अंतरिक्ष यान एक साथ काम करने की आवश्यकता होती है. 2040 तक गहरे अंतरिक्ष अन्वेषण और चंद्रमा पर संभावित चालक दल के मिशन में भारत के भविष्य के प्रयासों का मार्ग प्रशस्त करेगा. डॉकिंग प्रयोग चंद्रयान-4 मिशन के लिए भी रास्ता खोलता है, जिसे कई लॉन्च में संचालित किया जाएगा.