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India Daily

'परमाणु बम की धमकी नहीं सही जाएगी', लाल किले से पाकिस्तान को पीएम मोदी का संदेश

भारत को आजाद हुए 79 साल हो गए हैं. 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश शासन से देश को आजादी मिली थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से तिरंगा फहरा दिया है. पीएम मोदी लाल किले से 12वीं बार देश को संबोधित कर रहे हैं. उन्होंने पाकिस्तान को कड़ा संदेश देते हुए कहा कि भारत न्यूक्लियर धमकियों को सहने वाले नहीं है. 

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Edited By: Gyanendra Sharma
PM Modi
Courtesy: Social Media

Independence Day 2025: भारत को आजाद हुए 79 साल हो गए हैं. 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश शासन से देश को आजादी मिली थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से तिरंगा फहराया. पीएम मोदी लाल किले से 12वीं बार देश को संबोधित कर रहे हैं. उन्होंने पाकिस्तान को कड़ा संदेश देते हुए कहा कि भारत न्यूक्लियर धमकियों को सहने वाले नहीं है. 

पीएम मोदी ने कहा कि 15 अगस्त का विशेष महत्व भी देख रहा हूं. आज मुझे लाल किले की प्राचीर से ऑपरेशन सिंदूर के वीर जांबाजों को सैल्यूट करने का अवसर मिला. हमारे वीर सैनिकों ने दुश्मनों को उनकी कल्पना से परे सजा दी और पहलगाम में सीमापार से आतंकियों ने आकर जिस तरह कत्लेआम किया. धर्म पूछ-पूछकर लोगों को मारा गया. पत्नी के सामने पति को गोलियां, बच्चों के सामने पिता को मौत के घाट उतार दिया गया. पूरा हिंदुस्तान आक्रोश से भरा हुआ है. ऑपरेशन सिंदूर उसी आक्रोश की अभिव्यक्ति है. 

न्यूक्लियर की धमकियों को अब हम सहने वाले नहीं-पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा कि  पाकिस्तान में हुई तबाही इतनी बड़ी है, रोज नए खुलासे हो रहे हैं. हमारा देश कई दशकों से आतंक को झेलता आया है. देश के सीने को झलनी कर दिया गया है. हमने आतंक को और आतंकी को पालने-पोसने वालों को ताकत देने वालों को अब हम अलग-अलग नहीं मानेंगे. वो मानवता के समान दुश्मन हैं. उनमें कोई फर्क नहीं है. भारत ने तय कर लिया है कि न्यूक्लियर की धमकियों को अब हम सहने वाले नहीं है. न्यूक्लियर ब्लैकमेल लंबे अर्से से हो रही है. लेकिन हम इसे नहीं सहेंगे. हमारे वीर सैनिकों ने दुश्मनों को उनकी कल्पना से परे सजा दी है.

खून और पानी साथ-साथ नहीं बहेंगे-पीएम मोदी

लाल किले की प्राचीर से पीएम मोदी ने कहा कि भारत ने तय किया है खून और पानी साथ-साथ नहीं बहेंगे. भारतीय नदियों का पानी दुश्मनों को सींच रहा है. हिंदुस्तान को उसके हक का पानी मिलेगा. इस पर हिंदुस्तान के किसानों का हक है. सिंधु समझौता एक तरफा और अन्यायपूर्ण था. राष्ट्रहित में ये समझौता मंजूर नहीं है.