गुजरात एटीएस की बड़ी कार्रवाई, ISIS के तीन टेररिस्ट गिरफ्तार, रांची से भी लिंक
एटीएस के अधिकारियों के मुताबिक, यह गिरोह न केवल विस्फोटक हमलों की तैयारी कर रहा था, बल्कि युवाओं को कट्टरपंथ की ओर धकेलने का काम भी कर रहा था.
अहमदाबाद: देश की आंतरिक सुरक्षा को लगातार चुनौती देने वाले आतंकियों के खिलाफ सुरक्षाबल सतर्क मोड में हैं. गुजरात एंटी-टेररिस्ट स्क्वायड (एटीएस) ने एक ऑपरेशन को अंजाम देकर आईएसआईएस के तीन कुख्यात ट्रेंड आतंकवादियों को गिरफ्तार कर लिया है. ये आरोपी कई महीनों से राज्य में घातक साजिशें रच रहे थे और बड़े पैमाने पर हमले की योजना बना रहे थे.
एटीएस के अधिकारियों के मुताबिक, यह गिरोह न केवल विस्फोटक हमलों की तैयारी कर रहा था, बल्कि युवाओं को कट्टरपंथ की ओर धकेलने का काम भी कर रहा था. इस कार्रवाई से एक बड़े खतरे को टाल लिया गया है. झारखंड की राजधानी रांची से कुछ आरोपियों को पकड़ा भी गया था.
साजिश का खुलासा
एटीएस को जून माह में खुफिया इनपुट मिला था कि आईएसआईएस से जुड़े कुछ संदिग्ध तत्व गुजरात और पड़ोसी राज्यों में सक्रिय हैं. इन तीनों आरोपी जिनकी पहचान अभी गोपनीय रखी गई है पाकिस्तान स्थित हैंडलर 'अबू' के संपर्क में थे. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे इंस्टाग्राम और टेलीग्राम के जरिए वे जिहादी प्रोपेगैंडा फैला रहे थे. गुजरात ATS की प्राथमिक जांच में सामने आया कि तीनों आरोपी ISIS से जुड़े दो अलग-अलग मॉड्यूल से एक्टिव रूप से जुड़े हुए थे.
गुजरात एटीएस के डीआईजी सुनील जोशी ने बताया, "ये तत्व कई महीनों से हमारे रडार पर थे. खुफिया एजेंसियों के साथ समन्वय से हमने उनकी गतिविधियों पर नजर रखी. गिरफ्तारी के समय उनके पास एन्क्रिप्टेड चैट्स और डिजिटल डिवाइस बरामद हुए, जो आईएसआईएस की वैश्विक साजिश का हिस्सा साबित कर रहे हैं. " तीनों आरोपी ट्रेंड थे, यानी आईएसआईएस के आधिकारिक चैनलों से प्रशिक्षित. वे श्रीलंका और बांग्लादेश के रूट्स के जरिए भारत में घुसने की कोशिश कर रहे थे.
झारखंड कनेक्शन: युवाओं को भटकाने का मॉड्यूल
इस साजिश का एक महत्वपूर्ण लिंक झारखंड की राजधानी रांची से जुड़ा है. एटीएस की जांच में पता चला कि आरोपी रांची में एक रिक्रूटमेंट नेटवर्क चला रहे थे, जहां वे स्थानीय नवयुवकों को आईएसआईएस की विचारधारा से प्रभावित कर रहे थे. पिछले कुछ हफ्तों में रांची से दो संदिग्धों को हिरासत में लिया गया था, जो इस मॉड्यूल के लॉजिस्टिक सपोर्ट प्रदान कर रहे थे. ये युवा ऑनलाइन कैंपेन के जरिए भटकाए जा रहे थे, जिसमें शरिया कानून लागू करने और 'इस्लामी खलीफा' स्थापित करने जैसे प्रलोभन दिए जा रहे थे.