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Gobi Manchurian: बेंगलुरु में 80% तक गिरा गोभी मंचूरियन का व्यापार, जानें क्यों

सबकी पसंदीदा डिश गोभी मंचूरियन की डिमांड में बेंगलुरु में भारी गिरावट आई है. इस गिरावट ने इसके विक्रेताओं के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है.

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Gobi Manchurian: गोभी मंचूरियन जिसे लोग बड़े ही चाव से खाते हैं, बेंगलुरु में इसकी बिक्री में भारी गिरावट आई है. गोभी मंचूरियन की डिमांड में गिरावट ने इसके बिक्रेताओं की कमर तोड़कर रख दी है. गोभी मंचूरियन की बिक्री में गिरावट के पीछे कर्नाटक सरकार का एक फैसला है.  दरअसल, गोभी मंचूरियन को उसका लाल रंग देने के लिए उसमें कृत्रिम रंग मिलाए जाते हैं और इस रंग में रोडामाइन-बी नाम का केमिकल होता है जो कैंसर कारक है.

खाने में कृत्रिम रंग पर लगा प्रतिबंध

रोडामाइन की पुष्टि होने के बाद कर्नाटक सरकार ने खाने में रंग मिलने वाले लोगों पर नकेल कसनी शुरू कर दी है और खाने में कृत्रिम रंग के इस्तेमाल पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है.

गोभी मंचूरियन बिजनेस पर पड़ा प्रतिबंध का असर

इस प्रतिबंध का सीधा असर शहर में गोभी मंचूरियन पर भी पड़ा है. द हंस मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार के इस फैसले के बाद बेंगलुरू में गोभी मंचूरियन का व्यापार 80% तक गिर गया है.

'लोगों को पसंद नहीं आ रहा प्राकृतिक मंचूरियन'

शहर में गोभी मंचूरियन का ठेला लगाने वाले एक दुकानदार राजेश ये ने कहा कि ग्राहक बिना रंग वाली गोभी मंचूरियन पसंद नहीं कर रहे हैं. ऐसे में हमारे लिए व्यापार करना और रोजी रोटी कमाना भारी पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि इससे पहले हम प्रति दिन 10,000 रुपए का बिजनेस करते थे. वर्तमान में हम बिना रंग वाली प्राकृतिक गोभी बना रहे हैं. इसके बाद भी लोग नहीं आ रहे हैं.

राजेश ने कहा कि आर्टिफियल कलर के इस्तेमाल पर बैन लगाना हमारे व्यापार के लिए बड़ा झटका था और अब हम केमिकल फ्री गोभी मंचूरियन बना रहे हैं. उन्होंने कहा कि हालांकि कुछ ग्राहक केमिकल फ्री गोभी मंचूरियन को बड़े चाव से खा रहे हैं. बता दें कि सरकार ने कॉटन कैंडी पर भी बैन लगा दिया था. हालांकि सफेद कॉटन कैंडी पर कोई प्रतिबंध नहीं है.