'​​​​​​​इसका ये मतलब नहीं कि हम रूस या चीन को...', डोनाल्ड ट्रंप के तेवर नरम पड़ने पर भारत के पूर्व राजदूत का बड़ा बयान

अशरफ ने जोर देकर कहा, "हमारे पास यह क्षमता है कि हम उन देशों के साथ भी अपने संबंधों को संचालित करें, जिनके बीच आपसी मतभेद हैं. प्रत्येक संबंध को उसकी योग्यता के आधार पर देखा जाएगा."

Former ambassador Jawed Ashraf big statement on Donald Trumps soft stance towards India
Sagar Bhardwaj

India-US Relations: डोनाल्ड ट्रंप के बयान के बाद भारत और अमेरिका से संबंध फिर से सामान्य हो सकते हैं. इस बीच फ्रांस और मोनाको में भारत के पूर्व राजदूत जावेद अशरफ ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया है. उनके अनुसार, भारत को इस मानसिकता से बाहर निकलना होगा कि उसे किसी एक गुट के साथ खड़ा होना है. भारत एक छोटा या कमजोर देश नहीं है जो बाहरी समर्थन पर निर्भर हो. जावेद अशरफ कहते हैं, "भारत और भारतीयों को इस सोच से बाहर निकलना होगा कि हमें किसी एक खेमे में होना चाहिए. हम एक ऐसा देश हैं जो अपने कोने में खड़ा हो सकता है, अपने मूल्यों, सिद्धांतों और हितों के आधार पर कार्य कर सकता है."

उन्होंने कहा कि भारत की ताकत उसकी स्वतंत्र नीति और विभिन्न देशों के साथ संबंधों को उनकी योग्यता के आधार पर संतुलित करने की क्षमता में निहित है. अशरफ का कहना है कि भारत में इतनी सामर्थ्य है कि वह न केवल प्रमुख शक्तियों, बल्कि उनके बीच मतभेद होने पर भी, प्रत्येक संबंध को उसके गुणों के आधार पर संभाल सकता है. अशरफ ने जोर देकर कहा, "हमारे पास यह क्षमता है कि हम उन देशों के साथ भी अपने संबंधों को संचालित करें, जिनके बीच आपसी मतभेद हैं. प्रत्येक संबंध को उसकी योग्यता के आधार पर देखा जाएगा."

इसका ये मतलब नहीं कि हम रूस या चीन को भुला देंगे

अशरफ ने आगे कहा कि अमेरिका के साथ सामान्य और मजबूत संबंधों का मतलब यह नहीं है कि भारत ने रूस को भुला दिया है या चीन के साथ अपने संबंधों को सामान्य करने की कोशिश नहीं करेगा. उन्होंने स्पष्ट किया, "अगर हम अमेरिका के साथ सामान्य संबंधों की ओर लौटते हैं और वही साझेदार बने रहते हैं, जो हम रहे हैं, तो इसका मतलब यह नहीं कि हमने रूस को भुला दिया है या चीन के साथ संबंध सामान्य करने की कोशिश नहीं करेंगे." 

रूस और चीन जैसे देशों के साथ संबंधों को मजबूत करना महत्वपूर्ण

उन्होंने कहा कि भारत की विदेश नीति का लक्ष्य वैश्विक शांति और सहयोग को बढ़ावा देना है. रूस और चीन जैसे देशों के साथ संबंधों को मजबूत करना भारत के राष्ट्रीय हितों के लिए महत्वपूर्ण है. भारत की यह नीति न केवल उसकी स्वतंत्रता को दर्शाती है, बल्कि वैश्विक मंच पर उसकी बढ़ती भूमिका को भी रेखांकित करती है. भारत का यह दृष्टिकोण उसे एक ऐसी शक्ति बनाता है जो न केवल अपने हितों की रक्षा कर सकता है, बल्कि वैश्विक संतुलन में भी योगदान दे सकता है.