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India Daily

Farmers Protest: जगजीत सिंह डल्लेवाल के अनशन का 51वां दिन, पंजाब सरकार पर क्यों भड़का सुप्रीम कोर्ट?

कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट का जवाब देते हुए तुरंत अपनी गलती सुधारी और कहा कि श्री दल्लेवाल के पैरामीटर "स्थिर" हैं. उन्होंने स्पष्ट किया कि यह बयान किसान नेता की स्थिति की निगरानी के लिए गठित एक मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट पर आधारित था.

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Edited By: Mayank Tiwari
70 वर्षीय किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल
Courtesy: Social Media

पंजाब सरकार द्वारा आज बुधवार (15 जनवरी) को किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की स्वास्थ्य स्थिति पर सुप्रीम कोर्ट में दिए गए बयान ने अदालत को नाराज कर दिया. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया कि 49 दिन के उपवास के बाद उनकी स्वास्थ्य स्थिति कैसे "सुधर सकती है"? बता दें कि, 70 वर्षीय किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल कई किसानों के संगठनों की मांगों को लेकर अनशन पर हैं. इनमें प्रमुख मांगें हैं फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी और अन्य विभिन्न समस्याओं का समाधान को लेकर अनशन पर बैठे हुए हैं.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अदालत को बताया कि प्रदर्शन स्थल से केवल 10 मीटर की दूरी पर एक चिकित्सा सुविधा उपलब्ध है. उन्होंने यह भी कहा कि डल्लेवाल की स्थिति "सुधर रही है". लेकिन सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिस्वर सिंह की पीठ ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी. जस्टिस सूर्यकांत ने सवाल किया, "कैसे हो सकता है कि 49 दिन के उपवास के बाद उनकी स्वास्थ्य स्थिति सुधार रही हो? क्या पिछले रिपोर्ट्स में उनकी स्थिति बिगड़ने की बात नहीं कही गई थी?"

मेडिकल रिपोर्ट और कोर्ट का आदेश

इस पर कपिल सिब्बल ने तुरंत सुधार करते हुए कहा कि डल्लेवाल की स्थिति "स्थिर" है और यह जानकारी मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट पर आधारित है. इधर, सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार से दल्लेवाल की मेडिकल रिपोर्ट्स रजिस्ट्रार को सौंपने का आदेश दिया, ताकि AIIMS के निदेशक से एक विशेषज्ञ राय प्राप्त की जा सके.

किसान नेता की अस्पताल में भर्ती न कराए जाने का मुद्दा

इस मामले की सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि किसान दल्लेवाल को अस्पताल में भर्ती कराने के प्रयासों का विरोध कर रहे हैं, और बल प्रयोग से "संपत्ति की क्षति" हो सकती है.

केंद्र से जवाब की मांग

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से भी दो हफ्तों के भीतर यह स्पष्ट करने को कहा कि वह न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए कानूनी गारंटी देने के संबंध में क्या कदम उठाने वाला है.