'परीक्षा के अंक छात्रों की क्षमता...', लेक्स फ्रिडमैन पॉडकास्ट में पीएम मोदी ने कही लाख टके की बात, माता-पिता को दी ये सलाह

मोदी ने माता-पिता को सलाह दी कि वे बच्चों को स्टेटस सिंबल की तरह न देखें. "जिंदगी सिर्फ परीक्षा देने तक सीमित नहीं है. बच्चों को ट्रॉफी या प्रदर्शन की वस्तु नहीं बनाना चाहिए. यह कहना गलत है कि 'देखो, मेरा बच्चा इतने अंक लाया.' माता-पिता को बच्चों को सामाजिक दिखावे का जरिया बनाने से बचना चाहिए."

Imran Khan claims

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि अकादमिक अंक अकेले किसी छात्र की वास्तविक प्रतिभा को परिभाषित नहीं कर सकते. उनके मुताबिक, परीक्षाएं ज्ञान और आत्म-विकास की लंबी यात्रा का केवल एक छोटा हिस्सा हैं. रविवार को लेक्स फ्रिडमैन के साथ पॉडकास्ट में पीएम मोदी ने समाज में फैली उस सोच पर चिंता जताई, जहां परीक्षा के अंकों को ही सफलता का पैमाना माना जाता है.

परीक्षा से परे है जिंदगी
पीएम मोदी ने कहा कि आज समाज में एक अजीब मानसिकता बन गई है. स्कूल अपनी सफलता को छात्रों की रैंकिंग से मापते हैं, और परिवारों को भी गर्व होता है जब उनका बच्चा ऊंची रैंक लाता है. वे इसे अपनी शैक्षिक और सामाजिक प्रतिष्ठा का आधार मानते हैं. लेकिन पीएम ने जोर देकर कहा, "परीक्षाएं किसी खास क्षेत्र में ज्ञान का मूल्यांकन करने के लिए उपयोगी हैं, लेकिन ये किसी की पूरी क्षमता का एकमात्र मापदंड नहीं बन सकतीं."

उन्होंने उदाहरण दिया, "कई लोग पढ़ाई में ज्यादा अंक नहीं ला पाते, लेकिन क्रिकेट में शतक जड़ सकते हैं, क्योंकि उनकी असली ताकत वहां है. जब ध्यान असली सीखने पर जाता है, तो अंक अपने आप बेहतर हो जाते हैं."

माता-पिता की सोच पर सवाल
मोदी ने माता-पिता को सलाह दी कि वे बच्चों को स्टेटस सिंबल की तरह न देखें. "जिंदगी सिर्फ परीक्षा देने तक सीमित नहीं है. बच्चों को ट्रॉफी या प्रदर्शन की वस्तु नहीं बनाना चाहिए. यह कहना गलत है कि 'देखो, मेरा बच्चा इतने अंक लाया.' माता-पिता को बच्चों को सामाजिक दिखावे का जरिया बनाने से बचना चाहिए."

तनाव से निपटने की सलाह
छात्रों को तनाव से निपटने के बारे में पीएम ने कहा कि तैयारी पहले से कर लेनी चाहिए और अपनी क्षमताओं पर पूरा भरोसा रखना चाहिए. लेक्स फ्रिडमैन ने जब पूछा कि छात्र अपने करियर में सफलता कैसे पाएं, तो पीएम ने जवाब दिया, "मेरा मानना है कि कोई भी काम पूरी लगन और ईमानदारी से करें, तो आप उसमें देर-सबेर निपुण हो जाते हैं. यह बढ़ी हुई क्षमता सफलता के दरवाजे खोलती है."

बचपन के अनुभव और सीखने का तरीका
पॉडकास्ट में पीएम ने अपने बचपन की यादें साझा कीं. उन्होंने बताया कि उनके शिक्षकों ने नवोन्मेषी तरीकों से पढ़ाया, जिससे उन्हें अवधारणाएं समझने में मदद मिली. सीखने के अपने मंत्र पर उन्होंने कहा, "पहले मैं किताबों से बहुत कुछ सीखता था, लेकिन अब पूरी तरह मौजूद रहकर सीखता हूं. जब मैं किसी से मिलता हूं, तो उस पल में पूरी तरह डूब जाता हूं. मेरा पूरा ध्यान उस पर होता है. कोई फोन या संदेश मुझे उस क्षण से नहीं हटा सकता."

अनुभव से सीखने का महत्व
उन्होंने आगे कहा, "यह आदत हर किसी को अपनानी चाहिए. इससे दिमाग तेज होता है और सीखने की क्षमता बढ़ती है. सिर्फ ज्ञान रास्ता नहीं दिखा सकता. आपको अभ्यास के प्रवाह में उतरना होगा. महान ड्राइवरों की कहानियाँ पढ़कर आप गाड़ी चलाना नहीं सीख सकते. आपको खुद स्टीयरिंग थामकर सड़क पर उतरना होगा."

शिक्षा पर नया नजरिया
पीएम मोदी का यह बयान शिक्षा को लेकर एक नई सोच को प्रोत्साहित करता है. उन्होंने समाज, माता-पिता और छात्रों से अपील की कि परीक्षा को जिंदगी का अंतिम लक्ष्य न बनाएं. यह संदेश न केवल छात्रों को तनाव से मुक्ति देता है, बल्कि सीखने और आत्म-विकास पर ध्यान देने की प्रेरणा भी देता है.

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