ट्रंप का यू-टर्न, मोदी ने भी चीन के एंटी-वेस्ट गठबंधन से बनाई दूरी; अमेरिकी लेखक ने बताया कैसे खत्म होने लगा यूएस-भारत टैरिफ विवाद?

हाल ही में डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि पीएम मोदी उनके महान मित्र हैं और भारत-अमेरिका संबंध विशेष है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव भारत की कूटनीतिक कुशलता का परिणाम है. 

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Sagar Bhardwaj

US Tariff: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत के बारे में अपने विवादास्पद बयानों से पीछे हटने का फैसला किया है, जो एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है. यह बदलाव तब आया है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट संकेत दिया है कि भारत चीन द्वारा तैयार किए जा रहे एंटी-पश्चिम गठबंधन का हिस्सा बनने को तैयार नहीं है. प्रसिद्ध लेखक और विशेषज्ञ गॉर्डन चांग ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा, ‘ट्रंप ने भारत पर अपने बयानों से पीछे हटकर सही किया है. मोदी एक संदेश दे रहे हैं कि वह चीन द्वारा बनाए जा रहे एंटी-पश्चिम गठबंधन का हिस्सा बनना नहीं चाहते.’

बता दें कि पिछले कुछ हफ्तों में अमेरिका ने भारत पर 50 प्रतिशत तक टैरिफ लगाने का फैसला किया था, जिसका कारण भारत का रूस से तेल आयात बताया गया. ट्रंप ने सोशल मीडिया पर भारत और रूस को ‘गहरे अंधेरे वाले चीन’ की ओर खिसकते हुए बताया था, लेकिन बाद में उन्होंने कहा कि मोदी उनके ‘महान मित्र’ हैं और भारत-अमेरिका संबंध विशेष हैं. यह उतार-चढ़ाव वैश्विक कूटनीति में भारत की रणनीतिक स्वायत्तता को रेखांकित करता है.

रूस से तेल खरीदने से नाराज हुए थे ट्रंप

ट्रंप प्रशासन की आक्रामक व्यापार नीति ने भारत को करारा झटका दिया था. मई में भारत-पाकिस्तान संघर्ष में ट्रंप ने खुद को इस युद्ध को रुकवाने वाला बताकर भारत को नाराज कर दिया था. इसके बाद रूसी तेल खरीद पर टैरिफ ने संबंधों को तनावपूर्ण बना दिया लेकिन ट्रंप का पीछे हटना दर्शाता है कि अमेरिका भारत को चीन के खिलाफ काउंटरवेट के रूप में खोना नहीं चाहता. विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव भारत की कूटनीतिक कुशलता का परिणाम है. 

व्यापार वार्ता की संभावना बढ़ी

गॉर्डन चांग जैसे विश्लेषकों ने इसे सही दिशा में कदम बताया है, क्योंकि भारत की अर्थव्यवस्था अमेरिकी बाजार पर निर्भर है. टैरिफ से भारतीय निर्यात प्रभावित हो सकता था, लेकिन अब व्यापार वार्ता की संभावना बढ़ गई है.

संतुलन बनाकर चल रही मोदी सरकार

हालांकि मोदी सरकार ने हमेशा रणनीतिक संतुलन बनाए रखा है. शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (SCO) शिखर सम्मेलन में मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की, लेकिन यह गठबंधन का हिस्सा बनने का संकेत नहीं था बल्कि, यह अमेरिका को चेतावनी थी कि भारत विकल्प तलाश सकता है. सीमा विवाद और व्यापार घाटे के बावजूद भारत-चीन संबंधों में सुधार की कोशिशें जारी हैं, लेकिन मोदी ने स्पष्ट किया कि भारत पश्चिम विरोधी मोर्चे में नहीं पड़ेगा.