PM मोदी के विपक्ष पर ड्रामा वाले तंज पर प्रियंका गांधी का 'SIR' पलटवार, जानें क्यों कहा?
संसद के शीतकालीन सत्र की शुरूआत हो चुकी है, जो 19 दिसंबर तक चलेगा. शीतकालीन सत्र के दौरान संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) में 15-15 बैठक आयोजित की जाएगी. शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने मीडिया को संबोधित किया.
नई दिल्ली: संसद के शीतकालीन सत्र की शुरूआत हो चुकी है, जो 19 दिसंबर तक चलेगा. शीतकालीन सत्र के दौरान संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) में 15-15 बैठक आयोजित की जाएगी. शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने मीडिया को संबोधित किया.
'प्रधानमंत्री कभी संसद नहीं आते'
वहीं, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री कभी संसद नहीं आते और लगातार उसके महत्व को कमजोर करते हैं. वह कभी विपक्ष से संवाद नहीं करते. फिर भी हर सत्र शुरू होने से पहले वह संसद भवन के बाहर खड़े होकर बड़े-बड़े बयान देते हैं और देश से अपील करते हैं कि विपक्ष रचनात्मक सहयोग करे, ताकि लोकसभा और राज्यसभा सुचारू रूप से चल सके.
अगर संसद सुचारू रूप से नहीं चलती, तो इसकी पूरी जिम्मेदारी प्रधानमंत्री की है, क्योंकि वह अपनी जिद के चलते विपक्ष को जनता के महत्वपूर्ण मुद्दों पर बोलने का अवसर ही नहीं देते. उन्हें हमेशा हर फैसला अपनी मर्जी से करवाना है और विपक्ष को अपनी बात रखने का न्यूनतम मौका भी नहीं देते. संसद शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री का बयान महज पाखंड है. सबसे बड़ा ड्रामेबाज ही यहां ड्रामे की बात कर रहा है.
पीएम मोदी ने क्या कहा
प्रधानमंत्री मोदी ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि मेरा सभी दलों से आग्रह है कि शीतकालीन सत्र में पराजय की बौखलाहट को मैदान नहीं बनना चाहिए और ये शीतकालीन सत्र विजय के अहंकार में भी परिवर्तित नहीं होना चाहिए. संसद का ये शीतकालीन सत्र सिर्फ कोई ritual नहीं है. ये राष्ट्र को प्रगति की ओर तेज गति से ले जाने के प्रयास चल रहे हैं, उसमें ऊर्जा भरने का काम ये शीतकालीन सत्र भी करेगा। ऐसा मुझे विश्वास है.
'लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत'
प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि गत दिनों बिहार में जो चुनाव हुआ, उसमें मतदान का जो विक्रम हुआ, वो लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत है. माताओं-बहनों की जो भागीदारी बढ़ रही है, ये अपने आप में एक नई आशा, नया विश्वास पैदा करती है. एक तरफ लोकतंत्र की मजबूती और इस लोकतांत्रिक व्यवस्था के भीतर अर्थतंत्र की मजबूती को भी दुनिया बहुत बारीकी से देख रही है. भारत ने सिद्ध कर दिया है कि Democracy can deliver. जिस गति से आज भारत की आर्थिक स्थिति नई ऊंचाइयों को प्राप्त कर रही है. विकसित भारत के लक्ष्य के और जाने में ये हममें नया विश्वास तो जगाती ही है, नई ताकत भी देती है.
'चर्चा में मजबूत मुद्दे उठाए'
उन्होंने कहा कि कुछ दल हार स्वीकार ही नहीं कर सकते. मुझे उम्मीद थी कि बिहार चुनाव हारने के बाद समय के साथ नेता खुद को संभाल लेंगे, लेकिन कल उनके बयानों से साफ पता चल रहा है कि हार ने उन्हें पूरी तरह से विचलित कर दिया है.
मैं सभी दलों से आग्रह करता हूँ कि शीतकालीन सत्र को अराजक न बनाया जाए. ये सत्र, संसद देश के लिए क्या सोच रही है, संसद देश के लिए क्या करना चाहती है, संसद देश के लिए क्या करने वाली है, इन मुद्दों पर केंद्रित होनी चाहिए. विपक्ष भी अपना दायित्व निभाए और चर्चा में मजबूत मुद्दे उठाए. पराजय की निराशा से बाहर निकलकर आएं.