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Bhojshala Survey: MP के धार में भोजशाला का ASI सर्वे जारी, जुमे की नमाज के मद्देनजर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था

Bhojshala Survey: ASI की 5 सदस्यीय टीम मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित विवादास्पद भोजशाला का सर्वे शुरू कर दिया है. इस दौरान जिला प्रशासन के तामाम बड़े आला-अधिकारी मौके पर मौजूद रहे. आज के दिन जुमे की नमाज के मद्देनजर कड़े सुरक्षा व्यवस्था के इंतजामात किये गए है.

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Bhojshala Survey: एएसआई की टीम ने मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल धार जिले में स्थित विवादास्पद भोजशाला का सर्वेक्षण शुरू कर दिया. एएसआई की टीम शुक्रवार सुबह परिसर में पहुंची. इस दौरान उनके साथ स्थानीय पुलिस और जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश के बाद ASI की टीम सर्वे के जरिये यह पता लगाएगी कि भोजशाला में सरस्वती मंदिर है या कमाल मौलाना मस्जिद? हिंदू पक्ष के वकील श्रीश दुबे ने कहा कि अभी चार याचिकाएं चल रही हैं. सर्वे आज सुबह 6 बजे शुरू हुआ है. रिपोर्ट जल्द ही कोर्ट को सौंपी जाएगी. अगली सुनवाई 29 अप्रैल को है.

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने 11 मार्च को एएसआई को छह सप्ताह के भीतर भोजशाला परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया था, जो 11वीं शताब्दी का एक मध्ययुगीन युग का स्मारक है. जिसके बारे में हिंदुओं का मानना ​​है कि यह सरस्वती मां का मंदिर है वहीं मुस्लिम समुदाय इसे कमाल मौला मस्जिद बताते हुए दावा करता है. मुस्लिम समुदाय इसे भोजशाला परिसर कहता है. मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय का आदेश मई 2022 में हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस की ओर से दायर याचिका पर आया है, जिसमें विवादास्पद भोजशाला परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण की मांग की गई थी.

साइट पर दोनों समुदाय जारी रखेंगे प्रार्थना

धार के पुलिस अधीक्षक (एसपी) मनोज कुमार सिंह ने कहा कि जिला प्रशासन ने सर्वेक्षणकर्ताओं को तीन स्तर की सुरक्षा प्रदान करने का निर्णय लिया है. सर्वेक्षण के दौरान कैमरे सहित 100 सुरक्षा कर्मियों की विशेष सशस्त्र बल (एसएएफ) की एक कंपनी तैनात किये गए है. एसपी ने कहा कि 2003 में एएसआई द्वारा की गई व्यवस्था के अनुसार दोनों समुदाय साइट पर प्रार्थना करना जारी रखेंगे. दरअसल 7 अप्रैल 2003 को जारी एएसआई के आदेश के अनुसार हिंदुओं को हर मंगलवार को भोजशाला परिसर के अंदर पूजा करने की अनुमति है जबकि मुसलमानों को शुक्रवार को साइट पर नमाज अदा करने की अनुमति है.

जीपीआर-जीपीएस सर्वेक्षण के विवादित परिसर का सर्वे 

अदालत के निर्देशानुसार एएसआई की टीम विवादित स्थल और परिधीय रिंग क्षेत्र के पूरे 50 मीटर क्षेत्र का सर्वेक्षण करेगी. जीपीआर-जीपीएस सर्वेक्षण के नये तरीकों-तकनीकों को अपनाकर वैज्ञानिक जांच और सर्वेक्षण किया जाएगा. जमीन के ऊपर और नीचे विभिन्न संरचनाओं की पुरातात्विक पहचान का पता लगाने के लिए कार्बन डेटिंग पद्धति को अपनाकर एक विस्तृत वैज्ञानिक जांच की जाएगी. जमीन के नीचे और ऊपर दोनों जगह स्थायी, चल और अचल संरचनाएं, जो पूरे परिसर की दीवारों, स्तंभों, फर्शों, सतहों, ऊपरी शीर्ष, गर्भगृह का निर्माण करती हैं.

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