सर्दी शुरू होते ही क्यों बढ़ जाता है वायरल निमोनिया का खतरा? जानें कैसे रखें अपना ख्याल
सर्दियों में तापमान गिरते ही वायरल निमोनिया के मामलों में तेजी देखी जाती है. ठंडे मौसम में वायरस अधिक समय तक सक्रिय रहते हैं और कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों पर जल्दी असर डालते हैं.
नई दिल्ली: सर्दियों का मौसम जहां एक तरफ आरामदायक लगता है, वहीं दूसरी ओर यह कई तरह की बीमारियों का खतरा भी बढ़ा देता है. इन्हीं में से एक है वायरल निमोनिया, जो अचानक तापमान गिरने पर तेजी से फैलता है. डॉक्टर बताते हैं कि जैसे-जैसे ठंड बढ़ती है, वायरस का सक्रियता काल बढ़ जाता है और संक्रमण का जोखिम कई गुना हो जाता है. खासकर बच्चों, बुजुर्गों और कम प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों में यह खतरा ज्यादा होता है.
ठंड के दौरान लोग अधिक समय बंद कमरों में बिताते हैं, जिससे संक्रमण का प्रसार आसानी से हो जाता है. इसके अलावा प्रदूषित हवा और धुएं के कण फेफड़ों को कमजोर कर देते हैं, जिससे निमोनिया होने की संभावना बढ़ जाती है. यही वजह है कि विशेषज्ञ सर्दियों में अतिरिक्त सावधानी बरतने की सलाह देते हैं. समय पर पहचान, सही देखभाल और जरूरत पड़ने पर डॉक्टर से सलाह लेने से गंभीर स्थिति से बचा जा सकता है.
ठंड में वायरस क्यों बढ़ जाते हैं
कम तापमान में वायरस की टिकाऊ क्षमता बढ़ जाती है, यानी वे अधिक समय तक हवा में सक्रिय रहते हैं. जब लोग ठंड से बचने के लिए घरों में खुद को सीमित कर लेते हैं तो हवा का वेंटिलेशन कम हो जाता है. ऐसे माहौल में संक्रमण तेजी से फैलता है. यही कारण है कि दिसंबर से फरवरी के बीच वायरल निमोनिया के केस लगातार बढ़ते हैं.
इम्यूनिटी पर पड़ता है सीधा असर
सर्दियों में शरीर की इम्यूनिटी सामान्य दिनों की तुलना में कमजोर पड़ जाती है. ठंडी हवा फेफड़ों की नमी कम कर देती है, जिससे संक्रमण पकड़ने की क्षमता बढ़ती है. शरीर को संक्रमण से लड़ने में अधिक समय लगता है. विशेषज्ञों के अनुसार पर्याप्त नींद, पौष्टिक भोजन और गर्म पानी पीने से प्रतिरोधक क्षमता बेहतर बनी रहती है.
प्रदूषण भी बनता है बड़ा कारण
सर्दियों में हवा का प्रवाह धीमा हो जाता है, जिससे प्रदूषण का स्तर बढ़ता है. धूल, धुआं और छोटे कण फेफड़ों में जलन पैदा करते हैं और वायरस के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करते हैं. यह समस्या खासकर शहरों में ज़्यादा देखने को मिलती है, जहां सर्दियों में स्मॉग भी स्वास्थ्य के लिए जोखिम बन जाता है.
किन लक्षणों को न करें नजरअंदाज
लगातार खांसी, बुखार, सांस लेने में परेशानी, सीने में दर्द, थकान और ठंड लगना वायरल निमोनिया के प्रमुख लक्षण हैं. कई बार हल्के सर्दी-खांसी के रूप में शुरू होकर यह तेजी से फेफड़ों को प्रभावित कर सकता है. विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि अगर लक्षण 48 घंटे से अधिक बने रहें तो डॉक्टर से जांच करवाना जरूरी है.
कैसे रखें अपना ध्यान और बचाव
गर्म कपड़े पहनें, ठंडी हवा से बचें और घर में पर्याप्त वेंटिलेशन रखें. दिन में कई बार हाथ धोना, विटामिन-सी से भरपूर आहार, गर्म पानी, भाप और नियमित व्यायाम फेफड़ों को मजबूत बनाते हैं. मास्क पहनना और भीड़भाड़ वाली जगहों से दूरी बनाए रखना संक्रमण से बचाव में मदद करता है. समय पर सावधानी सबसे प्रभावी सुरक्षा है.
Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. theindiadaily.com इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.