कम उम्र में क्यों आ रहा हार्ट अटैक? वैज्ञानिकों ने किया सनसनीखेज खुलासा, वजह जानकर चौंक जाएंगे
कम उम्र के स्वस्थ लोगों में अचानक हार्ट अटैक की घटनाओं ने चिंता बढ़ा दी है. बेंगलुरु के शोधकर्ताओं ने इसके पीछे कार्डियोमायोपैथी नामक बीमारी और ट्यूबुलिन टायरोसिन लाइगेस (TTL) जीन को जिम्मेदार पाया.
नई दिल्ली: कम उम्र के और दिखने में पूरी तरह स्वस्थ लोगों के अचानक हार्ट अटैक से मौत की खबरें लगातार बढ़ रही हैं. अक्सर लोगों के मन में सवाल उठता है आखिर स्वस्थ व्यक्ति को अचानक दिल का दौरा कैसे पड़ सकता है? अब वैज्ञानिकों ने इस रहस्य से पर्दा उठाने का दावा किया है. बेंगलुरु स्थित स्टेम सेल साइंस एंड रीजेनरेटिव मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने एक ऐसा जीन खोजा है, जो कार्डियोमायोपैथी नाम की गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है.
यह बीमारी दिल की मांसपेशियों को कमजोर करती है और युवाओं में अचानक दिल की धड़कन रुकने की मुख्य वजह बन सकती है. स्टडी के दौरानस टीम ने कार्डियोमायोपैथी से पीड़ित भारतीय मरीजों पर 20,000 से 25,000 जीन की जांच की. इस दौरान उन्होंने ट्यूबुलिन टायरोसिन लाइगेस (TTL) नाम का जीन खोजा, जो इस बीमारी से सीधे तौर पर जुड़ा पाया गया. इस कंडीशन में दिल की दीवारें मोटी हो जाती हैं, जिसके कारण दिल का बायां हिस्सा ठीक से काम करना बंद कर देता है.
म्यूटेशन कैसे होता है?
यह बदलाव डीएनए में होने वाले जेनेटिक म्यूटेशन की वजह से होता है. गलत प्रोटीन बनने लगते हैं, जिससे दिल अनियमित रूप से धड़कने लगता है. शोधकर्ताओं के अनुसार, कार्डियोमायोपैथी वाले मरीजों में TTL जीन में एक खास बदलाव देखा गया. सामान्य स्थिति में जहां ग्लाइसिन अमीनो एसिड होता है, उसकी जगह सेरीन अमीनो एसिड आ जाता है.
यह बदलाव प्रदूषण, सूरज की हानिकारक UV किरणों या माता-पिता से मिलने वाले जीन के कारण हो सकता है. भारी शारीरिक गतिविधि के दौरान ऐसे लोगों में अचानक मौत का खतरा और ज्यादा बढ़ जाता है, क्योंकि दिल उस दबाव को सहन नहीं कर पाता. टीम ने इस बीमारी को समझने के लिए स्टेम सेल तकनीक का इस्तेमाल किया.
कैसे की गई स्टडी?
मरीजों के ब्लड सेल्स को 2D स्टेम सेल कल्चर में बदला गया और फिर इन्हें धड़कने वाले हार्ट सेल्स में विकसित किया गया. इसके बाद 3D ऑर्गेनॉइड्स बनाए गए, जो छोटे-से दिल जैसे सेंपल होते हैं. जब शोधकर्ताओं ने स्वस्थ सेल्स में ग्लाइसिन की जगह सेरीन डालकर वही बदलाव किया, तो नॉर्मल दिल के सेल्स भी बीमार हो गए और अनियमित धड़कने लगे. इससे साबित हुआ कि यही म्यूटेशन कार्डियोमायोपैथी का मुख्य कारण है.
क्या इसे रोका जा सकता है?
विशेषज्ञों का कहना है कि यह म्यूटेशन पूरी तरह रोका नहीं जा सकता. लेकिन हर पांच साल में जेनेटिक टेस्टिंग करवाना बेहद फायदेमंद हो सकता है. इससे म्यूटेशन का जल्दी पता लगाया जा सकता है और डॉक्टर समय रहते दवाइयों व देखभाल से स्थिति को बिगड़ने से रोक सकते हैं.
Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. theindiadaily.com इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.