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सैकड़ों कारीगर, महीनों की मेहनत और मुगलों जैसा महल, हीरामंडी कैसे बना भंसाली का ड्रीम प्रोजेक्ट?

हीरामंडी के सेट को बनाने में 700 कारीगर लगाए गए थे. फिल्म का सेट 7 महीनों में बनकर तैयार हुआ, जिसमें 60,000 लकड़ी के तख्तों का इस्तेमाल किया गया.

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बॉलीवुड के दिग्गज डायरेक्टर संजय लीला भंसाली वेब सीरीज हीरामंडी का लोग बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. यह कहानी आजादी के पहले लाहौर में रहने वाली तवायफों के जीवन पर आधारित है. हीरामंडी के जरिए संजय लीला भंसाली पहली बार ओटीटी पर दस्तक दे रहे हैं. इस वेबसीरीज में मनीषा कोइराला, सोनाक्षी सिन्हा, अदिति राव हैदरी, ऋचा चड्ढा, संजीदा शेख और शर्मिन सहगल मुख्य भूमिकाओं में हैं.

अपनी पिछली फिल्मों की तरह इस फिल्म में भी भंसाली ने एक विशालकाय सेट दिखाया है जो हर प्रकार की रॉयल्टी से लैस है. हीरामंडी के सेट ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया है.

भंसाली ने लगाया अब तक का सबसे बड़ा सेट
फिल्म में जो डायमंड बाजार दिखाया गया है उसके लिए डायरेक्टर भंसाली ने तीन एकड़ में सेट लगाया था.

भंसाली के दिमाग में आखिर कैसे आया हीरामंडी का विचार
आखिर हीरामंडी का विचार भंगाली के दिमाग में कैसे उपजा? डायरेक्टर ने खुद एक इंटरव्यू में इसका खुलासा किया और हीरामंडी को लेकर और भी कई रोचक तथ्य बताए. अपने ड्रीम प्रोजेक्ट को लेकर भंसाली ने कहा, 'मैं हमेशा खोया हुआ रहना चाहता था. यह मेरे जीवन का अब तक का सबसे बड़ा सेट है.'

भंसाली ने कहा, 'आप अपने पात्रों के लिए केवल एक सेट खड़ा नहीं कर सकते. यह उस तरह से काम नहीं करता. फिल्म मेकिंग और फ्रेम मेकिंग में आर्किटेक्चर बहुत बड़ी भूमिका निभाता है.' यह पहली बार नहीं है जब भंसाली ने किसी फिल्म के लिए इतना भव्य सेट लगाया. इससे पहले वह अपनी फिल्म देवदास, बाजीराव मस्तानी, पद्मावत में भी विशाल सेट लगाकर जनता को आश्चर्यचकित कर चुके हैं.

गौरतलब है कि 'हीरामंडी- द डायमंड बाजार' सीरीज के आठ भाग हैं. फिल्म 1 मई नेटफ्लिक्स पर रिलीज होगी.