चुनाव के बीच बीफ पर बवाल: कंगना, ओवैसी और अब योगी... कैसे तूल पकड़ रहा मुद्दा?

Beef Controversy Row: देश में इन दिनों बीफ के मुद्दे पर सियासत तेज हो गई है. इस मुद्दे पर बीते कुछ दिनों से तमाम राजनीतिक दल के नेता अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं. आइए जानते हैं बीफ विवाद में अब कर किस-किस नेताओं की एंट्री हुई है.

India Daily Live
Published :Saturday, 27 April 2024
Updated :27 April 2024, 09:32 AM IST
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Beef Controversy Row: लोकसभा चुनाव के मद्देनजर जारी प्रचार-प्रसार के दौर में नेताओं के बीच आए दिन किसी न किसी मुद्दे को लेकर घमासान देखने को मिल रहा है. इलेक्टोरल बॉन्ड, देश की संपत्ति पर पहला हक मुसलमानों का वाले बयान के बाद अब बीफ पर सियासत गरमाई हुई है. दरअसल, बीफ को लेकर शुरू हुआ यह विवाद कोई नया नहीं है. यह विवाद उस वक्त तेज हो गया जब कांग्रेस के एक नेता ने यह दावा किया कि कंगना रनौत बीफ खाती हैं.

बीफ को लेकर तमाम राजनीतिक दल एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप करते हुए नजर आ रहे हैं. आइए एक नजर डालते हैं बीफ वाले बयान में अब तक किस किस नेताओं की एंट्री हो गई है और उन्होंने क्या कहा है.  

कंगना रनौत को बीफ पसंद है- विजय वडेट्टीवार

महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता विजय वडेट्टीवार ने बीते दिनों हिमाचल के मंडी लोकसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार कंगना रनौत को लेकर एक बड़ा दावा किया था. उन्होंने कहा था कि बीजेपी ने जिस कंगना को मंडी से उम्मीदवार बनाया है उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा था कि उन्हें बीफ पसंद है और वह खाती हैं. वडेट्टीवार के इस बयान पर बीजेपी नेताओं ने कड़ी आपत्ति जताई थी और बाद में कंगना ने भी पलटवार करते हुए कहा था कि वह बीफ या किसी भी तरह का रेड मीट नहीं खाती हैं. 

ओवैसी ने बीफ शॉप जिंदाबाद के नारे लगाए

एक चुनाव प्रचार के दौरान ओवैसी की ओर से बीफ को लेकर दिए गए बयान पर भी विवाद देखने को मिला है. दरअसल, असदुद्दीन ओवैसी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था जिसमें वह एक दुकान के बाहर खड़े होकर रेहान बीफ शॉप! जिंदाबाद के नारे लगाए थे. नारा लगाने के बाद ओवैसी को यह कहते हुए सुना गया कि काट ते रहो. 

माधवी लता का ओवैसी पर तीखा हमला

ओवैसी के इस बयान पर बीजेपी नेता माधवी लता ने कहा था कि मैं समझ नहीं पाती हूं कि ओवैसी बैरिस्टर कैसे बन गए. वह पर्सनल लॉ की बात करते हैं. पर्सनल लॉ के मुताबिक, ‘फतवा’ कुछ होता है, जिसका पालन सभी को करना होता है. जब फतवा है कि बीफ नहीं खाना चाहिए, तो वह फतवे के खिलाफ कैसे जा रहे हैं. इसका मतलब है कि वह अपने धर्म का भी सम्मान नहीं करते हैं.