मेरठ में धरी रह गई बीजेपी की चाणक्य नीति! पिछले 15 साल में सबसे कम मतदान रिकॉर्ड

Lok Sabha Election: मेरठ लोकसभा सीट पर पिछले 15 साल के मुकाबले इस बार सबसे कम वोटिंग प्रतिशत रिकॉर्ड की गई है. दरअसल, इस सीट पर वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने के लिए बीजेपी की ओर से तमाम कोशिशें की गई थी लेकिन इसका कोई खास फर्क नहीं पड़ा.

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Lok Sabha Election: यूपी के मेरठ लोकसभा सीट से बीजेपी ने इस बार के चुनाव में अपने मौजूदा सांसद का टिकट काटकर रामायण में राम का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल को टिकट दिया. दरअसल, बीजेपी ने यह सोचा होगा कि अरुण गोविल को अगर इस सीट से वह उम्मीदवार बनाती है तो उसे प्रदेश में राममय माहौल के साथ साथ गोविल के किरदार का भी लाभ मिलेगा और वोट प्रतिशत बढ़ेगा और इसके लिए तमाम कोशिश भी की गई थी. 

मेरठ लोकसभा सीट पर बीजेपी ने जमकर प्रचार-प्रसार किया. इस सीट पर लोगों के वोट मांगने के लिए मोदी-योगी भी पहुंचे. रामायण के किरदार रहे लक्षमण और सीती भी पहुंचे लेकिन कोई खास फर्क देखने को नहीं मिला. मेरठ लोकसभा सीट पर मतदान करने सिर्फ और सिर्फ 58.70 फीसदी लोग ही पहुंचे.

पिछले साल के मुकाबले 5.56 फीसदी कम वोटिंग

पिछले लोकसभा चुनाव से अगर हम तुलना करें तो वोटिंग में 5.56 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है. वोटिंग में गिरावट को लेकर फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि इससे किस दल को लाभ हुआ है और किस दल को नुकसान हुआ है.

15 साल में सबसे कम वोटिंग

मेरठ लोकसभा सीट पर पिछले 15 साल में इस बार सबसे कम वोटिंग दर्ज की गई है. लोकसभा चुनाव 2009 की अगर हम बात करें तो इस दौरान 48.22 फीसदी वोट डाले गए थे. साल 2014 की अगर हम बात करें तो इस दौरा 63.11 फीसदी वोटिंग हुई थी और पिछले लोकसभा चुनाव यानी 2019 में इस सीट पर 64.26 वोटिंग रिकॉर्ड की गई थी.