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क्या चुनाव लड़ने के लिए संपत्ति का खुलासा करना है जरूरी? अब सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला

चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवारों की सभी संपत्तियों के बारे में खुलासा करने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा है कि चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को अपनी सारी संपत्ति के बारे में खुलासा करने की जरूरत नहीं है.

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India Daily Live
Courtesy: Social Media

उम्मीदवारों की सभी संपत्ति के बारे में मतदाताओं को जानकारी होने के अधिकार पर सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ी टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि वोटर को किसी उम्मीदवार की सभी संपत्ति के बारे में जानने का पूरा अधिकार नहीं है. कोर्ट ने कहा कि उम्मीदवार को उन मामलों के बारे में गोपनीयता का अधिकार है जो उम्मीदवारी के लिए अप्रासंगिक है.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने वाले किसी व्यक्ति को अपने या अपने परिवार के स्वामित्व वाली सभी चल संपत्ति को सार्वजनिक करने की जरूरत नहीं है. जस्टिस अनिरुद्ध बोस और संजय कुमार की खंडपीठ ने ये बातें कही हैं. इसके अलावा उन्होंने गुवाहाटी हाई कोर्ट के उस आदेश को भी रद्द कर दिया है जिसमें अरुणाचल प्रदेश के तेजू विधानसभा क्षेत्र से स्वतंत्र विधायक कारिखो क्रि के चुनाव को शून्य घोषित कर दिया गया था.

सुप्रीम कोर्ट ने क्यों दिया यह फैसला?

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक याचिका में कारिखो क्रि के प्रतिद्वंद्वी ने तर्क दिया था कि कारिखो क्रि ने नामांकन दायर करते समय अपनी पत्नी और बेटे के स्वामित्व वाले तीन वाहनों का खुलासा नहीं किया था. नामांकन से पहले ऐसे वाहनों को या तो उपहार में दिया गया था या बेच दिया गया था.

याचिकाकर्ता के इस तर्क पर कोर्ट ने कहा कि वाहनों को अभी भी क्रि की पत्नी और बेटे के स्वामित्व में नहीं माना जा सकता है. बता दें, कारिखो क्रि साल 2019 में अरुणाचल प्रदेश के तेजू विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक चुने गए थे.

क्या है निजता के अधिकार

निजता का अधिकार एक मौलिक अधिकार है. यह आपके सबसे महत्वपूर्ण अधिकारों में से एक है. साल 2017 में इस अधिकार को सुप्रीम कोर्ट ने मान्यता दी थी. इसका उद्देश्य व्यक्तियों की गोपनीयता को खतरे में डालने वाले सरकारी और निजी कार्यों पर रोक लगाना है.

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