स्कूल जाने में बच्चा करे बहाने? समझदारी से ऐसे करें हैंडल, पेरेंट्स के लिए फुल गाइड

कई बच्चे स्कूल जाते समय तरह–तरह के बहाने बनाने लगते हैं, जिससे पेरेंट्स परेशान हो जाते हैं. ये बहाने कभी पेट दर्द, कभी डर, तो कभी क्लास में न जाने की अनिच्छा के रूप में नजर आते हैं.

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Reepu Kumari

नई दिल्ली: स्कूल जाने में बहाने बनाना छोटे बच्चों में आम समस्या है, लेकिन कई बार यह एक गंभीर संकेत भी हो सकता है. माता–पिता अक्सर समझ नहीं पाते कि आखिर बच्चे ऐसा क्यों कर रहे हैं और कैसे इस स्थिति को सही तरीके से संभाला जाए. जरूरी है कि उनके बहानों के पीछे छिपी वजह को समझा जाए. विशेषज्ञ बताते हैं कि बच्चे तब स्कूल से बचने लगते हैं जब उन्हें वहां किसी चीज से डर लगता है, किसी के व्यवहार से परेशानी होती है या वे पढ़ाई के बोझ को संभाल नहीं पाते.

ऐसे में माता–पिता की जिम्मेदारी बनती है कि बच्चे को सुरक्षित महसूस कराया जाए और उसकी भावनाओं को महत्व दिया जाए. इससे बच्चा धीरे–धीरे स्कूल को लेकर सहज होने लगता है.

बच्चे के बहाने की वजह समझें

जब बच्चा रोज नए बहाने बनाने लगे, तो उसे डांटने की जगह उसकी चिंता को समझें. कई बार बच्चे क्लास में बुलिंग, टीचर के सख्त रवैये, या अचानक पढ़ाई के ज्यादा दबाव की वजह से तनाव महसूस करते हैं. इस कारण वे शरीर में दर्द या कमजोरी का झूठा बहाना भी बना सकते हैं. अगर पैरेंट्स शांत होकर बच्चे से बात करें, तो असली वजह सामने आने लगती है.

स्कूल के माहौल पर नजर रखें

कई बच्चे स्कूल के माहौल में असहज महसूस करते हैं. हो सकता है क्लास में दोस्त न होना, टीचर के साथ असहजता या किसी गतिविधि का डर बच्चा छुपा रहा हो. पेरेंट्स को स्कूल टीचर से बात करके यह पता करना चाहिए कि बच्चा क्लास में कैसे व्यवहार करता है और किन चीजों से बच रहा है. यह जानकारी स्थिति को समझने में बहुत मदद करती है.

रूटीन में आराम जोड़ें 

अगर बच्चा सुबह उठते ही तनाव महसूस करता है, तो उसके दिन की शुरुआत बेहतर ढंग से करवाना जरूरी है. नींद पूरी होना, अच्छा नाश्ता, हल्की बातचीत और प्रोत्साहन बच्चे के मूड को सुधारते हैं. सुबह का तनाव घटता है और बच्चा स्कूल जाने के लिए मानसिक रूप से तैयार होता है.

बच्चे को प्रोत्साहन दें 

कई बार बच्चे को बस एक भावनात्मक सहारे की जरूरत होती है. उसे छोटे–छोटे प्रयासों के लिए भी शाबासी दें. स्कूल जाकर अच्छा व्यवहार करने, होमवर्क पूरा करने या क्लास में एक्टिव रहने पर उसे सराहें. इससे उसका आत्मविश्वास बढ़ता है और वह स्कूल को बोझ के बजाय सीखने की जगह मानने लगता है.

जरूरत हो तो विशेषज्ञ से मदद लें 

अगर बच्चे की परेशानी लगातार बने रहे और वह किसी भी तरह स्कूल जाने को तैयार न हो, तो यह गहरी चिंता का विषय हो सकता है. ऐसे में बाल मनोवैज्ञानिक से सलाह लेने में हिचकिचाएं नहीं. समय पर की गई काउंसलिंग बच्चे के भीतर जमा डर और तनाव को दूर कर देती है और वह सहजता से स्कूल जाने लगता है.

Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है.  theindiadaily.com  इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.