भारत में रोजगार की बरसात, 6 साल में उत्पन्न हुईं सोलह करोड़ से अधिक नई नौकरियां, बेरोजगारी दर रह गई आधी
भारत में रोजगार के मोर्चे पर बड़ी सफलता दर्ज की गई है. श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार, पिछले छह वर्षों में देश में सोलह करोड़ से अधिक नई नौकरियां सृजित हुई हैं.
Indias employment boom: भारत की अर्थव्यवस्था अब केवल जीडीपी के आंकड़ों से नहीं, बल्कि रोजगार के अवसरों से भी अपनी मजबूती का परिचय दे रही है. श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट बताती है कि देश में कामकाज करने वाले लोगों की संख्या चौंसठ करोड़ से अधिक हो गई है, जो साल 2017-18 के मुकाबले करीब सत्रह करोड़ की बढ़ोतरी है.
इस दौरान महिलाओं की भागीदारी में भी उल्लेखनीय उछाल देखा गया है, जिससे यह साफ होता है कि भारत में विकास अब सामाजिक रूप से भी संतुलित दिशा में बढ़ रहा है.
छह साल में सोलह करोड़ नई नौकरियां
मंत्रालय के अनुसार, वित्त वर्ष 2023-24 में देश में कुल रोजगार 64.33 करोड़ तक पहुंच गया, जबकि 2017-18 में यह आंकड़ा 47.5 करोड़ था. इस अवधि में बेरोजगारी दर छह प्रतिशत से घटकर 3.2 प्रतिशत पर आ गई है. खास बात यह है कि इस दौरान करीब 1.56 करोड़ महिलाएं औपचारिक कार्यबल से जुड़ीं, जो देश की श्रमशक्ति में लैंगिक संतुलन को मजबूत करने वाला संकेत है. मंत्रालय ने कहा कि विकास का असली पैमाना जीडीपी नहीं, बल्कि रोजगार सृजन की क्षमता है, क्योंकि यह सीधे आम नागरिक के जीवनस्तर को प्रभावित करता है.
लेबर फोर्स और वर्कर रेशियो दोनों में सुधार
आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) के जून-अगस्त 2025 के आंकड़ों में प्रमुख रोजगार संकेतकों में सुधार दर्ज किया गया. लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन रेट यानी काम करने या काम तलाशने वालों की दर जून में 54.2 प्रतिशत से बढ़कर अगस्त में 55 प्रतिशत हो गई. वहीं, वर्कर पॉपुलेशन रेशियो यानी आबादी में कार्यरत लोगों का हिस्सा 51.2 प्रतिशत से बढ़कर 52.2 प्रतिशत पर पहुंच गया. ग्रामीण और शहरी, दोनों क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़े हैं. दीर्घकालिक रुझान भी इसी दिशा में हैं- साल 2017-18 में 49.8 प्रतिशत रही भागीदारी दर अब 60.1 प्रतिशत तक पहुंच गई है.
ग्रामीण भारत में कृषि प्रमुख
अप्रैल-जून 2025 की तिमाही के आंकड़ों के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी कृषि सबसे बड़ा रोजगार स्रोत बना हुआ है, जहां 44.6 प्रतिशत पुरुष और 70.9 प्रतिशत महिलाएं कार्यरत हैं. वहीं शहरी इलाकों में सर्विस सेक्टर सबसे बड़ा नियोक्ता बना हुआ है, जो 60.6 प्रतिशत पुरुषों और 64.9 प्रतिशत महिलाओं को रोजगार दे रहा है. कुल मिलाकर इस तिमाही में देशभर में 15 वर्ष से अधिक आयु के 56.4 करोड़ लोग कार्यरत पाए गए, जिनमें 39.7 करोड़ पुरुष और 16.7 करोड़ महिलाएं शामिल हैं.
स्वरोजगार में बढ़ोतरी और औपचारिक क्षेत्र में तेजी
रोजगार पैटर्न में एक बड़ा बदलाव यह है कि अब अधिक लोग स्वरोजगार की ओर बढ़ रहे हैं. साल 2017-18 में जहां 52.2 प्रतिशत लोग स्वरोजगार में थे, वहीं 2023-24 में यह आंकड़ा 58.4 प्रतिशत तक पहुंच गया. इसके उलट, दिहाड़ी मजदूरों का अनुपात 24.9 प्रतिशत से घटकर 19.8 प्रतिशत रह गया.
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने भी इस बदलाव की पुष्टि की है- 2024-25 में 1.29 करोड़ नए सब्सक्राइबर जुड़े, जबकि 2018-19 में यह संख्या 61 लाख थी. मंत्रालय ने कहा कि 'रोजगार केवल आर्थिक नहीं, बल्कि सामाजिक स्थिरता का भी प्रतीक है. रोजगार का विस्तार उपभोग बढ़ाता है, उत्पादन को प्रोत्साहित करता है और दीर्घकालिक विकास की नींव रखता है.'