वैश्विक संकट के बीच IMF ने भारत को लेकर दी गुड न्यूज, बढ़ाया ग्रोथ रेट
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को बढ़ा दिया है. वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों में सुधार और व्यापारिक अनिश्चितताओं में कुछ नरमी के चलते भारत की जीडीपी वृद्धि दर 2026 और 2027 के लिए 6.4% अनुमानित की गई है. अमेरिका और चीन जैसे बड़े देशों की आर्थिक मजबूती ने भी इस संशोधन में भूमिका निभाई है.
दुनिया भर में आर्थिक माहौल में हल्का सुधार देखने को मिल रहा है और इसी बीच अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भारत समेत कई देशों की जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान को संशोधित कर सकारात्मक संकेत दिए हैं. मंगलवार को जारी "वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक अपडेट" में भारत की विकास दर को आगामी दो वर्षों के लिए 6.4% बताया गया है, जो अप्रैल में जारी अनुमान से बेहतर है.
आईएमएफ ने भारत की जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को बढ़ाकर 2026 और 2027 दोनों वर्षों के लिए 6.4% कर दिया है. पहले यह अनुमान अप्रैल में इससे थोड़ा कम था. यह संशोधन इस वजह से हुआ है क्योंकि वैश्विक आर्थिक माहौल पहले की अपेक्षा अधिक स्थिर और सहयोगी दिखाई दे रहा है. व्यापार और वित्तीय गतिविधियों में आई सकारात्मकता भारत की अर्थव्यवस्था को अतिरिक्त गति देने में सहायक हो सकती है.
वैश्विक वृद्धि दर में भी सुधार
सिर्फ भारत ही नहीं, IMF ने वैश्विक वृद्धि दर के पूर्वानुमानों में भी इजाफा किया है. अब वर्ष 2025 के लिए वैश्विक वृद्धि दर को 3% और 2026 के लिए 3.1% अनुमानित किया गया है. इसमें योगदान देने वाले प्रमुख कारणों में व्यापार पर लगने वाले संभावित टैरिफ से पहले की गई खरीदारी, अमेरिका में अपेक्षाकृत कम टैरिफ, और प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं द्वारा अपनाई गई विस्तारवादी वित्तीय नीतियाँ शामिल हैं.
अमेरिका, चीन और यूरोप के आंकड़े
अमेरिका के लिए अनुमानित वृद्धि दर 2025 में 1.9% और 2026 में 2% बताई गई है. चीन की अर्थव्यवस्था ने तो उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया है और 2025 की शुरुआत में ही 6% की वृद्धि दर हासिल की है, जो मुख्यतः उसके मजबूत निर्यात, सरकारी प्रोत्साहन और कमजोर युआन की वजह से संभव हुआ है. यूरोजोन में निवेश आधारित विकास तो देखा गया, लेकिन उपभोक्ता खर्च अभी भी कमजोर बना हुआ है.
मुद्रास्फीति, व्यापार और वित्तीय बाजार की स्थिति
वैश्विक मुद्रास्फीति में गिरावट देखी जा रही है, जो 2025 में 4.2% और 2026 में 3.6% तक आने की संभावना है. हालांकि, अमेरिका में टैरिफ के कारण लागत बढ़ने की आशंका के चलते महंगाई 2% के लक्ष्य से ऊपर रह सकती है, जबकि चीन और यूरोप में महंगाई अपेक्षाकृत कम रहने का अनुमान है. अमेरिका में टैरिफ पर अनिश्चितता अब भी बनी हुई है, क्योंकि अगस्त के बाद और सख्त शुल्क लगने की संभावना बनी हुई है. वित्तीय बाजार इस बदलते परिदृश्य के प्रति सकारात्मक रुख दिखा रहे हैं, जिससे उभरती अर्थव्यवस्थाओं को कुछ राहत मिल सकती है.
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