हैदराबाद में डेंटल सर्जन के खाते से उड़े 14.60 करोड़, फेसबुक की दोस्ती पड़ी भारी

हैदराबाद में एक डेंटल सर्जन और बिजनेसमैन से ऑनलाइन ट्रेडिंग का झांसा देकर 14.6 करोड़ रुपये की ठगी हुई. तेलंगाना साइबर सिक्योरिटी ब्यूरो ने मामले की जांच शुरू कर कई बैंक खाते फ्रीज कर दिए हैं.

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Kuldeep Sharma

हैदराबाद में साइबर ठगी का एक बड़ा मामला सामने आया है, जिसमें एक डेंटल सर्जन और बिजनेसमैन ऑनलाइन स्टॉक ट्रेडिंग के नाम पर ठगों का शिकार बन गए. 

फेसबुक और टेलीग्राम के जरिए ठगों ने पीड़ित का भरोसा जीतकर 14.6 करोड़ रुपये ठग लिए. शुरुआती जांच में पता चला कि नकली वेबसाइट और फर्जी मुनाफे के जरिए पीड़ित को फंसाया गया. तेलंगाना साइबर सिक्योरिटी ब्यूरो (TGCSB) ने मामला दर्ज कर कई बैंक खातों की राशि फ्रीज कर दी है.

फेसबुक दोस्ती से शुरू हुई ठगी

पीड़ित डॉक्टर से 27 अगस्त को फेसबुक मैसेंजर पर एक महिला ने संपर्क किया, जिसने खुद को मोनिका माधवन बताया. महिला ने बताया कि वह परेशान वैवाहिक जीवन से जूझ रही है. धीरे-धीरे बातचीत टेलीग्राम पर ID: @DadPrincessMoni के माध्यम से होने लगी और खुद को अनुभवी स्टॉक ट्रेडर के रूप में पेश किया. इसके बाद डॉक्टर को नकली वेबसाइट www.cmcmarketsltd.com पर खाता खोलने और KYC अपलोड करने के लिए राजी किया गया.

नकली मुनाफे और भरोसा बनाने की चाल

3 सितंबर से 21 नवंबर के बीच, पीड़ित ने अपने चार निजी और पारिवारिक खातों से 10 राज्यों में लगभग 40 चालू खातों में 91 बार पैसे ट्रांसफर किए. शुरुआत में फर्जी मुनाफा दिखाया गया, जिसमें ₹8.6 लाख का लाभ भी दिखाया गया. डॉक्टर को भरोसा दिलाने के लिए ₹85,000 की सफल निकासी की अनुमति दी गई. इससे उन्हें लगा कि यह एक वैध ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म है.

नकली टैक्स और क्रिप्टोकरेंसी

नवंबर में जब डॉक्टर ने अपने वॉलेट में ₹34 करोड़ निकालने की कोशिश की, तो धोखेबाजों ने 30% अग्रिम टैक्स की मांग की. इनकार करने पर आधी रकम USDT क्रिप्टोकरेंसी में देने की पेशकश की गई, लेकिन भुगतान रोक दिया गया. ₹3.75 करोड़ की अतिरिक्त मांग के बाद डॉक्टर को समझ में आया कि उनके साथ धोखाधड़ी हुई है.

शिकायत दर्ज और TGCSB की कार्रवाई

पीड़ित डॉक्टर ने TGCSB में शिकायत दर्ज कराई. आईटी एक्ट की धारा 66-D और भारतीय दंड संहिता की धारा 318(4), 319(2) और 338 के तहत मामला दर्ज किया गया. इसके बाद TGCSB अधिकारियों ने कई बैंक खातों में मौजूद 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम फ्रीज कर दी और जांच शुरू की.

आरोपियों की पहचान की कोशिश

अधिकारियों ने बताया कि वे धोखाधड़ी के नेटवर्क को ट्रेस कर रहे हैं और सभी लेन-देन का विश्लेषण कर रहे हैं. TGCSB ने बैंक खातों और ट्रांजैक्शन डेटा को सुरक्षित किया है. अब उनका लक्ष्य आरोपियों की पहचान करना और पूरे साइबर फ्रॉड का खुलासा करना है.