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Mokshada Ekadashi 2023: जानें कब है साल 2023 की आखिरी एकादशी, क्या है इस दिन का शुभ मुहूर्त?

Mokshada Ekadashi 2023: मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहते हैं. मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था. इस दिन पूजन करने से जीवन के सभी दुख समाप्त होते हैं और मोक्ष प्राप्त होता है. 

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Mohit Tiwari
lord vishnu

हाइलाइट्स

  • साल 2023 की आखिरी एकादशी है मोक्षदा एकादशी
  • भगवान श्रीहरिविष्णु का किया जाता है पूजन

Mokshada Ekadashi 2023: मोक्षदा एकादशी को मोक्ष प्रदान करने वाली एकादशी माना जाता है. इस दिन ही भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था. मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु का पूजन मोक्ष प्रदान करता है. भगवत गीता के 11वें अध्याय का पाठ भी इस दिन काफी लाभकारी माना जाता है. इस अध्याय का पाठ करने से  व्यक्ति के कई जन्मों के पाप मिट जाते हैं. हिन्दू धर्म में भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है. शास्त्रों में एकादशी तिथि को भगवान
विष्णु की पूजा के लिए सबसे उत्तम दिन माना जाता है.

मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी के नाम से जाना जाता है. यह एकादशी साल 2023 की आखिरी एकादशी होगी. इस दिन भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की पूजा करना शुभ माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और श्री हरि की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही हर तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है. 

कब है मोक्षदा एकादशी?

मोक्षदा एकादशी का व्रत 22 दिसंबर को शुक्रवार के दिन रखा जाएगा.  22 दिसंबर को सुबह 8 बजकर 16 मिनट पर एकादशी तिथि का आरंभ होगा और यह अगले दिन यानी 23 दिसंबर को सुबह 7 बजकर 11 मिनट तक रहेगी. इसके साथ इस व्रत का पारण दोपहर 1 बजकर 22 मिनट से लेकर दोपहर 3 बजकर 26 मिनट तक होगा. 

मोक्षदा एकादशी पर ऐसे करें पूजन

इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु और उनके अवतार भगवान श्रीकृष्ण का पूजन किया जाता है. मोक्षदा एकादशी के दिन सुबह उठकर स्नान करें. इसके बाद साफ वस्त्र पहनकर व्रत का संकल्प लें. एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं और उस पर भगवान श्रीहरि विष्णु और श्रीकृष्ण की मूर्ति स्थापित करें. इसके बाद लाल या पीले कपड़े में लपेटकर गीता की नई प्रति स्थापित करें. इसके बाद फल, मिठाई और पंचामृत अर्पित करें. इसके साथ ही भगवान श्रीकृष्ण के मंत्रों का जाप करें. इस दिन गीता का संपूर्ण पाठ या 11 अध्याय का पाठ करें. अंत में अपनी मनोकामना भगवान से कहें. इस दिन दान करने से अनंत गुना फल प्राप्त होता है. 

मोक्षदा एकादशी का महत्व

शास्त्रों के अनुसार, मोक्षदा एकादशी का व्रत और पूजन करने से पितर प्रसन्न होते हैं. इस व्रत के प्रभाव से पितर नीच योनि से मुक्त जाते हैं और बैकुंठधाम चले जाते हैं.  ऐसे में पितर अपने परिवार को धान्य-धान्य और संतान प्राप्ति का आशीर्वाद देते हैं. वहीं मोक्षदा एकादशी के व्रत से यश-कीर्ति में भी बढ़ोतरी होती है और जीवन खुशियों से भर जाता है.

भगवान विष्णु के इन मंत्रों का करें जाप 

इस दिन अगर आप भगवान विष्णु का पूजन करते समय इस मंत्र का जाप करेंगे तो आपके जीवन में आ रही कई परेशानियां कम होंगी. मोक्षदा एकादशी के दिन तुलसी की माला से ‘ऊं नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करें.

Disclaimer : यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है.  theindiadaily.com  इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.