Significance of Kundli: शादी से पहले कुंडली मिलान एक प्राचीन परंपरा है जो भारतीय समाज में सदियों से चली आ रही है. यह परंपरा मुख्य रूप से हिंदू धर्म में प्रचलित है.
जहां दूल्हा और दुल्हन की कुंडली मिलाकर यह सुनिश्चित किया जाता है कि दोनों के जीवन में सुख-समृद्धि और समझदारी बनी रहे. हालांकि, आजकल बहुत कम लोग इसकी गहराई से समझ पाते हैं, लेकिन इसका महत्व आज भी वही है.
कुंडली मिलान का प्रमुख उद्देश्य दोनों व्यक्तियों के ग्रह, नक्षत्र और उनकी मानसिक स्थिति का मिलान करना है. वैदिक ज्योतिष के अनुसार, एक व्यक्ति के जन्म के समय ग्रहों की स्थिति उसके जीवन को प्रभावित करती है. यदि दोनों के ग्रहों की स्थिति अच्छी होती है और एक-दूसरे के अनुकूल होती है, तो यह वैवाहिक जीवन में सुख और शांति का संकेत होता है.
कुंडली मिलान में मुख्य रूप से 'गुण मिलान' किया जाता है, जिसे 'अष्टकूट मिलान' भी कहा जाता है. इसमें कुल आठ गुण होते हैं, और दूल्हा-दुल्हन की कुंडली के आधार पर इन गुणों की तुलना की जाती है. यदि 18 में से कम से कम 18 गुण मेल खाते हैं, तो विवाह को शुभ माना जाता है. इसके अलावा, 'मंगल दोष' और 'काल सर्प दोष' जैसे दोषों का भी ध्यान रखा जाता है, क्योंकि ये वैवाहिक जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं.
कुछ लोग इसे सिर्फ एक धार्मिक या पारंपरिक रस्म मानते हैं, लेकिन ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि कुंडली मिलान से विवाह जीवन में आने वाली परेशानियों और चुनौतियों को पहले से ही पहचाना जा सकता है. इसके जरिए, दोनों परिवारों के बीच आपसी समझ और सामंजस्य भी बढ़ता है, जिससे विवाह सफल और सुखमय हो सकता है.
अंत में, यह कहा जा सकता है कि कुंडली मिलान एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हो सकता है, क्योंकि यह दोनों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य, जीवनशैली और भविष्य की दिशा को समझने का एक साधन है.