Ramadan 2025: किन लोगों को रमजान में रोजा नहीं रखने की होती है छूट, यहां जानें पूरी डिटेल
Ramadan 2025: किन लोगों को रमजान में रोजा रखने की होती है छूट, यहां जानें पूरी डिटेल रमजान के दौरान रोजा, दान और प्रार्थनाएं भक्तों की आत्माओं को शुद्ध करती हैं. लेकिन कुछ लोगों को रमजान में रोजा रखने की छूट दी जाती है. चलिए जानते हैं इसके बारे में.
Ramadan 2025: रमजान, इस्लामी चंद्र कैलेंडर का नौवां महीना होता है. पूरे इस्लामी कैलेंडर में मुसलमानों के लिए रमजान का महीना सबसे पवित्र अवधि है. यह अवसर मुसलमानों के लिए एक पवित्र अवधि की उपस्थिति को दर्शाता है जब स्वर्ग के द्वार खुले होते हैं, इसके अलावा यह भी माना जाता है कि नरक के द्वार बंद हो जाते हैं और शैतानों को कैद में डाल दिया जाता है.
यह एक ऐसा समय है जब अच्छे कर्मों को बढ़ाया जाता है और आध्यात्मिक विकास पर जोर दिया जाता है. रोजा और पालन की एक महीने की अवधि को इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक माना जाता है. ये समारोह मौलिक धार्मिक कर्तव्य हैं जो मुस्लिम जीवन की नींव रखते हैं. रमजान के दौरान रोजा , दान और प्रार्थनाएं भक्तों की आत्माओं को शुद्ध करती हैं.
किसको रोजा न रखने की छूट है
जो लोग यौवन (youth) की उम्र तक पहुंच चुके हैं और स्वस्थ, शारीरिक और मानसिक रूप से बिना किसी नुकसान के रोजा करने में सक्षम हैं वह रोजा रख सकते हैं. ऐसी कुछ स्थितियां हैं जहां कुछ लोगों को रोजा से छूट दी जाती है, जिनमें ऐसे बच्चे शामिल हैं जो यौवन तक नहीं पहुंचे हैं और सेहत से जुड़ी परेशानी, गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाएं, मासिक धर्म वाली महिलाएं, लंबी यात्रा पर जाने वाले यात्री और वे लोग जो पुरानी बीमारियों से पीड़ित हैं. जिन लोगों को रोजा से छूट दी जाती है, उन्हें अक्सर गरीबों को भोजन कराने या सक्षम होने पर छूटे हुए दिनों की भरपाई करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है.
रमजान के दौरान कार्यक्रम
- सुहूर/सेहरी: रोजा शुरू करने से पहले भोजन खाया जाता है इसे सेहरी या सुहूर कहा जाता है.
- दिन का समय: दिन के समय लोग खाने-पीने से परहेज करते हैं. इसके साथ प्रार्थना (नमाज) ,कुरान पढ़ना और दान-पुण्य जैसे धार्मिक कार्य करते हैं,
- इफ्तार: सूर्यास्त के समय शाम का भोजन जो रोजा तोड़ता है, पारंपरिक रूप से खजूर और पानी से शुरू होता है, उसके बाद अन्य व्यंजन परोसे जाते हैं.
- तरावीह: रमजान के दौरान की जाने वाली खास रात की नमाज जिसमें कुरान के अंश पढ़े जाते हैं उसे तरावीह कहा जाता है.
यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. theindiadaily.com इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.
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