Lohri 2025: पंजाब, हरियाणा और दिल्ली जैसे राज्यों में लोहड़ी का पर्व बड़े उत्साह और धूमधाम के साथ मनाया जाता है. यह पर्व सुख-समृद्धि और खुशियों का प्रतीक है. इस दिन लोग सामूहिक रूप से पवित्र अग्नि जलाते हैं और उसमें मूंगफली, तिल, गुड़, गजक, चिड़वे और मक्के जैसे खाद्य पदार्थ अर्पित करते हैं. इसके बाद मिलकर पारंपरिक गीत गाए जाते हैं और खुशियों का उत्सव मनाया जाता है.
लोहड़ी का पर्व मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है. इस खास त्योहार के नाम का एक अनूठा अर्थ है. लोहड़ी शब्द तीन मुख्य तत्वों से मिलकर बना है: ल: लकड़ी, ओह: गोह (सूखे उपले), ड़ी: रेवड़ी.
यही कारण है कि लोहड़ी की रात मूंगफली, तिल, गुड़, गजक, चिड़वे और मक्के को पवित्र अग्नि में समर्पित करने की परंपरा है. यह पर्व केवल त्योहार भर नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक खास सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व छिपा है. लोहड़ी के आने से पहले, लगभग 20-30 दिन पहले बच्चे पारंपरिक लोक गीत गाते हुए लकड़ी और उपले इकट्ठा करते हैं. मकर संक्रांति से एक दिन पहले, मोहल्ले या गांव के किसी खुले स्थान पर सामूहिक रूप से आग जलाई जाती है और उपले की माला अर्पित की जाती है. इस प्रक्रिया को चर्खा चढ़ाना कहा जाता है.
लोहड़ी के पर्व को मनाने के पीछे कई ऐतिहासिक और पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं. इनमें से सबसे महत्वपूर्ण कथा दुल्ला भट्टी से जुड़ी है. दुल्ला भट्टी एक परोपकारी और बहादुर व्यक्ति था, जिसे पंजाब की लोक कथाओं में हीरो की तरह याद किया जाता है. उस समय अमीर सौदागर गरीब लड़कियों को खरीदकर गुलामी के लिए बेच देते थे. दुल्ला भट्टी ने इस अमानवीय प्रथा के खिलाफ आवाज उठाई. उसने कई लड़कियों को बचाकर उनकी शादियां करवाने में मदद की.
लोहड़ी के दिन दुल्ला भट्टी की बहादुरी और इंसानियत को याद करते हुए उनके नाम के गीत गाए जाते हैं. यही कारण है कि लोहड़ी के त्योहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा दुल्ला भट्टी को समर्पित गीत गाना है.
लोहड़ी न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह किसानों के लिए भी खास पर्व है. फसल कटाई के बाद नई फसल की खुशियां मनाने और परिवार एवं समाज के साथ जुड़ाव का प्रतीक यह पर्व हमारी सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाता है.
लोहड़ी के दिन सभी लोग पारंपरिक वेशभूषा पहनते हैं और ढोल-नगाड़ों की धुन पर भांगड़ा-गिद्दा करते हैं. लोहड़ी की आग को खुशियों और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. लोग एक-दूसरे को मिठाई बांटते हैं और खुशियों का आदान-प्रदान करते हैं.