दिल्ली की ऐसी हवेली जिसे देखते ही याद आती गद्दारी


दिलचस्प नगरी

    दिल्ली बड़ी दिलचस्प नगरी है. इसका इतिहास तो बेहद निराला है. इसके सीने में तमाम किस्से-कहानियां दफ्न हैं.

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सात बार उजड़ी

    दिल्ली के बारे में कहा जाता है यह सात बार उजड़ी है और बनी है. इसके बारे में अनेको किस्से हैं.

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हर कोई कहता गद्दार

    दिल्ली में एक ऐसी हवेली है जिसे हम नमक हराम की हवेली के नाम से जानते हैं. इसके सामने से गुजरने पर हर कोई इसे गद्दार कहता है.

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अंग्रेजों का राज

    इसको नमक हराम हवेली कहने के पीछे कहानी है. दरअसल जब देश पर अंग्रेजों का राज था तब कुछ रियासतें उनसे लोहा ले रही थीं. उनमें से एक थे इंदौर के महाराजा यशवंतराज होलकर.

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भवानी शंकर खत्री

    यशवंत राव होलकर के वफादारों में से एक भवानी शंकर खत्री ने राजा से अनबन होने के बाद अंग्रेजों से हाथ मिला लिया.

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खुफिया जानकारी

    खत्री होलकर और मराठाओं के बीच की खुफिया जानकारी अंग्रेजों को दे आता था. 1803 में अंग्रेजी सेना और होलकर के बीच भयानक जंग हुई.

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पटपड़गंज: तब और अब

    पटपड़गंज: तब और अब किताब में पत्रकार आरवी स्मिथ ने लिखा है कि इस लड़ाई में मराठा फौज अंग्रेजों से हार गई.

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अंग्रेजों का साथ दिया

    भवानी शंकर ने इस लड़ाई में गद्दारी की थी और अंग्रेजों का साथ दिया था. खत्री की वफादारी के कारण अंग्रेजों ने उसे चांदनी चौक पर एक हवेली दे दी.

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नमक हराम

    हवेली मिलने के बाद खत्री अपने परिवार के साथ रहने लगा. इसके बाद लोग खत्री को नमक हराम कहने लगे जो अब तक जारी है.

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