मुस्लिम लिव इन रिलेशनशिप में रह सकते हैं या नहीं, क्या कहता है इस्लाम


पर्सनल लॉ

    भारत में हर एक धर्म के लोग अपने पर्सनल लॉ के हिसाब से शादी विवाह करते हैं.

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स्पेशल मैरिज एक्ट

    लेकिन अगर पुरुष महिला अलग-अलग धर्म के हैं तो वह स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी करते हैं.

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लिव इन रिलेशनशिप

    आज के समय में लिव इन रिलेशनशिप में रहना आम बात हो गई है.

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इलाहाबाद हाई कोर्ट

    इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक याचिका खारिज करते हुए मुस्लिम शख्स को लिव इन रिलेशनशिप में रहने की इजाजत नहीं दी.

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शादीशुदा

    दरअसल, पुरुष पहले से ही शादीशुदा था. वह किसी दूसरी लड़की के साथ लिव इन में रह रहा था.

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सिक्योरिटी की मांग

    कपल ने सिक्योरिटी की मांग की थी. इस पर कोर्ट ने कहा कि इस्लाम शादीशुदा पुरुष को दूसरी लड़की के साथ लिव इन में रहने की इजाजत नहीं देता.

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याचिका खारिज

    इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कपल की सुरक्षा की याचिका खारिज कर दी.

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इस्लाम में हराम है लिव इन

    इस्लाम में भी लिव इन रिलेशनशिप को लेकर भी कोई जगह नहीं दी गई है.बिना निकाह के पुरुष और महिला का साथ रहना हराम माना जाता है.

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