इस कंप्यूटर का सबसे बड़ा पहलू इसकी कंप्यूटर चिप की तरह सूचना शेयर करने की क्षमता है.
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क्या है लिविंग कंप्यूटर तकनीक?
यदि इस प्रकार की कंप्यूटिंग को दुनिया भर में अपनाया जाता है, तो इसकी संभावना है कि ये ऊर्जा संकट को हल कर सकता है
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इसे किसने बनाया?
स्वीडिश वैज्ञानिकों ने मानव मस्तिष्क के ऊतरकों से निर्मित कंप्यूटर बनाया है.
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कितने ऑर्गेनोइड्स होते हैं?
16 ऑर्गेनोइड्स होते हैं. जिसमें 16 ऑर्गेनोइड्स होते हैं, जो प्रयोगशाला में विकसित मस्तिष्क कोशिकाओं के समूह होते हैं ये ऑर्गेनोइड्स एक दूसरे के साथ सूचनाओं का आदान-प्रदान करते हैं.
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कैसे काम करता है लिविंग कंप्यूटर?
ये ऊतक एक पारंपरिक कंप्यूटर चिप की तरह ही काम करते हैं, इसे एक सर्किट के काम की तरह भी समझा जा सकता है. हालांकि जो बात इसे खास बनाती है वो यह कि लिविंग कंप्यूटर कम ऊर्जा का उपयोग करते हैं.
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लिविंग कंप्यूटर का काम
फ़ाइनलस्पार्क ने दुनिया भर के शोधकर्ताओं के लिए एक ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म के रूप में इस तकनीक को लॉन्च किया है. हार्डवेयर और सॉफ़्टवेयर के पहलुओं को मिलाकर बनाया गया यह 'वेटवेयर' ऊर्जा संकट को दूर करने और मानव मस्तिष्क के बारे में हमारी समझ को आगे बढ़ाने का काम करेगा
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लिविंग कंप्यूटर में बिजली खपत
जीवित कंप्यूटर 1,000 गुना अधिक मेमोरी प्रदान करता है और पारंपरिक सुपरकंप्यूटर द्वारा खपत 21 मेगावाट की तुलना में केवल 10 से 20 वाट का उपयोग करता है.