बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर निर्वाचन आयोग ने वोटर लिस्ट में बड़ा बदलाव किया है. आयोग ने गहन पुनरीक्षण (SIR) के बाद मतदाता सूची का ड्राफ्ट जारी किया है.
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लाखों मतदाताओं के नाम काटे
इस सूची में लाखों मतदाताओं के नाम काटे गए हैं, जिससे बिहार की वोटर डेमोग्राफी में बड़ा बदलाव आ सकता है. आयोग के अनुसार, इस बदलाव का कारण राज्य से लोगों का पलायन है.
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पटना
पटना जिले से 3,95,500 मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं. पटना बिहार का सबसे बड़ा जिला है, जहां 14 विधानसभा सीटें हैं. इन सीटों में से 7 सीटों पर औसतन 27,000 वोट काटे गए हैं.
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मधुबनी
मधुबनी जिले में 3,53,545 मतदाताओं के नाम काटे गए हैं. यह जिला BJP-JDU का गढ़ माना जाता है. 2020 के चुनाव में भाजपा और जदयू ने यहां अधिकांश सीटें जीती थीं.
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गोपालगंज
गोपालगंज जिले से भी 3,10,363 वोटर्स के नाम हटाए गए हैं. यह जिला उत्तर प्रदेश के पास होने के कारण कई लोग काम के लिए बाहर जाते हैं, जिससे यहां मतदाताओं की संख्या घट गई है.
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समस्तीपुर और पूर्वी चंपारण
समस्तीपुर जिले में 2,83,955 मतदाताओं के नाम काटे गए हैं. वहीं, पूर्वी चंपारण में भी बड़ी संख्या में नामों को हटाया गया है. ये जिले NDA और RJD के बीच कड़ी टक्कर वाले रहे हैं.
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पूर्णिया में भी बदलाव
पूर्णिया जिले में 2,73,920 मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं. सीमांचल क्षेत्र के इस जिले की 7 विधानसभा सीटें हैं, जिनकी राजनीति में ये बदलाव बड़ा असर डाल सकता है.
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चुनावों पर असर?
अब सवाल यह उठता है कि लाखों मतदाताओं के नाम काटने का फायदा किसे होगा एनडीए को या महागठबंधन को? ये बदलाव परिणामों में उलटफेर कर सकता है.
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राजनीतिक हलचल
बिहार की राजनीति में हमेशा बदलाव होते रहते हैं और इस बार मतदाता सूची में बदलाव ने चुनावी माहौल को गरमा दिया है. आने वाले चुनावों में इसके क्या असर होंगे, ये देखना होगा.