दुनियाभर में भारत की आबादी के बराबर लोग हैं खराब मेंटल हेल्थ के शिकार
Garima Singh
2025/09/02 18:15:00 IST
ग्लोबल मेंटल हेल्थ संकट
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, 1 अरब से ज्यादा लोग चिंता और अवसाद जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं. यह संकट हर उम्र, लिंग और आय स्तर को प्रभावित कर रहा है.
Credit: CANVA आर्थिक नुकसान
चिंता और अवसाद के चलते वैश्विक अर्थव्यवस्था को हर साल 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान होता है. यह नुकसान उत्पादकता में कमी से उत्पन्न होता है.
Credit: CANVA मानसिक स्वास्थ्य का बोझ
मानसिक स्वास्थ्य विकार अब दीर्घकालिक विकलांगता का दूसरा प्रमुख कारण हैं, जो स्वस्थ जीवन के वर्षों को छीन रहे हैं और परिवारों पर भारी दबाव डाल रहे हैं.
Credit: CANVA WHO की रिपोर्ट
WHO की नई रिपोर्ट्स के मुताबिक वर्ल्ड मेंटल हेल्थ टुडे और मेंटल हेल्थ एटलस 2024, बताती हैं कि देश नीतियों और सामुदायिक कार्यक्रमों में प्रगति कर रहे हैं, लेकिन गति धीमी है.
Credit: CANVA भारत में मानसिक स्वास्थ्य लागत
भारत में अवसादग्रस्त महिलाएं अपनी उम्र का आधा से अधिक हिस्सा स्वास्थ्य देखभाल पर खर्च करती हैं, जिससे आर्थिक असमानताएं और गहरा रही हैं.
Credit: CANVA मेंटल हेल्थ में कम खर्च
सरकारें अपने स्वास्थ्य बजट का केवल 2% मानसिक स्वास्थ्य पर खर्च करती हैं. उच्च आय वाले देश प्रति व्यक्ति 65 डॉलर खर्च करते हैं, जबकि निम्न आय वाले देशों में यह मात्र 0.04 डॉलर है.
Credit: CANVA मेंटल हेल्थ पर नहीं है ध्यान
वैश्विक स्तर पर प्रति 1,00,000 लोगों पर केवल 13 मानसिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता हैं, और निम्न आय वाले देशों में यह संख्या और भी कम है.
Credit: CANVA सुसाइड की बड़ी वजह
2021 में 727,000 लोगों ने आत्महत्या की, जो युवाओं में मौत का प्रमुख कारण है. 2030 तक आत्महत्या दर में 33% कमी का लक्ष्य है, लेकिन केवल 12% कमी संभव दिख रही है.
Credit: CANVA कोविड-19 का प्रभाव
कोविड-19 ने चिंता और अवसाद को बढ़ाया, खासकर महिलाओं और युवाओं में. नई दिल्ली और जापान जैसे क्षेत्रों में आत्महत्या दर में वृद्धि देखी गई।
Credit: CANVA एक्शन लेने की जरुरत
WHO का कहना है कि मानसिक स्वास्थ्य एक मौलिक अधिकार है. सरकारों को अधिक धन, कड़े कानून, और समुदाय-आधारित देखभाल पर ध्यान देना होगा. तत्काल कार्रवाई जरूरी है.
Credit: CANVA