बर्फ के पीछे छिपा डर, कश्मीर में नौ साल की शांति के बाद फिर दहशत...
Ritu Sharma
2025/04/29 12:00:03 IST
तिब्बती राजकुमार से इस्लामी युग की शुरुआत
1320 के आसपास रिंचन शाह ने कश्मीर की सत्ता संभाली और इस्लाम धर्म अपना लिया. शाह मीर के शासन के साथ मुस्लिम वंश का उदय हुआ, जिसने घाटी का इतिहास बदल दिया.
Credit: Social Mediaशेख अब्दुल्ला और लोकतंत्र की पहली किरण
शेख अब्दुल्ला ने लोकतांत्रिक मूल्यों की नींव रखी. श्रीनगर के इकबाल पार्क में अपने बेटे फारूक को नेशनल कॉन्फ्रेंस का नेता बनाकर नई सियासी विरासत शुरू की.
Credit: Social Mediaअकबर जहां की रहस्यमयी कहानियां
शेख अब्दुल्ला की पत्नी, अकबर जहां को लेकर कई कथाएं हैं. जिनमें ब्रिटिश जासूस लॉरेंस से कथित विवाह की अफवाहें भी शामिल हैं.
Credit: Social Mediaफारूक अब्दुल्ला की सत्ता में वापसी और उथल-पुथल
1982 में शेख की मृत्यु के बाद फारूक मुख्यमंत्री बने. 1983 के चुनावों में भारी जीत के बावजूद, इंदिरा गांधी से टकराव घाटी की स्थिरता को हिला गया.
Credit: Social Media1987 के चुनाव और लोकतंत्र की हार
1987 में कांग्रेस-एनसी गठबंधन ने चुनावी धांधली से जीत हासिल की. मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट के साथ हुए अन्याय ने कश्मीर के युवाओं को लोकतांत्रिक रास्ते से विमुख कर दिया.
Credit: Social Mediaयूसुफ शाह से सैयद सलाहुद्दीन तक का सफर
अमीरा कदल के उम्मीदवार यूसुफ शाह चुनाव हारने के बाद पाकिस्तान चले गए. वहाँ उन्होंने हिजबुल मुजाहिदीन का नेतृत्व किया और 'सैयद सलाहुद्दीन' के नाम से आतंकवाद का चेहरा बने.
Credit: Social Mediaपाकिस्तान की भूमिका
जनरल जिया ने कश्मीर में 'निजाम-ए-मुस्तफा' की नीति को बढ़ावा दिया. आईएसआई ने घाटी में उग्रवाद को हवा देने के लिए पूरी ताकत झोंक दी.
Credit: Social Media1989 - पर्यटन से आतंकवाद तक का सफर
1989 तक कश्मीर में रेकॉर्ड पर्यटक आ रहे थे. लेकिन वहीं, अल-बरक, अल-फतेह, अल-जेहाद जैसे संगठनों ने बंदूक की राजनीति शुरू कर दी थी.
Credit: Social Mediaयूसुफ वानी की हत्या
15 अगस्त 1989 को, जब पूरा भारत आज़ादी मना रहा था, श्रीनगर के हलवाई यूसुफ वानी को दुकान की रोशनी जलाए रखने की सजा गोली मारकर दी गई, संदेश साफ था- भारत समर्थक नहीं चलेगा.
Credit: Social Media1990 के दशक की दहशत की शुरुआत
यूसुफ वानी की हत्या ने घाटी में आतंकवाद की खुली शुरुआत कर दी. लोकतंत्र की जगह अब बंदूक और खून का बोलबाला होने लगा.
Credit: Social Media