चिपको आंदोलन ने इंदिरा गांधी को कैसे फैसला पलटने पर किया मजबूर?


Anvi Shukla
2025/03/26 13:03:36 IST

चिपको आंदोलन की शुरुआत: 1973 का ऐतिहासिक कदम

    1973 में उत्तराखंड के चमोली जिले में चिपको आंदोलन शुरू हुआ, जब स्थानीय लोगों ने पेड़ों की कटाई को रोकने के लिए अपना जीवन दांव पर लगाया था.

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गौरा देवी का साहस: पेड़ों से चिपककर बचाया जंगल

    गौरा देवी ने अपनी बहादुरी से महिलाओं का नेतृत्व किया और पेड़ों को बचाने के लिए साहसपूर्वक ठेकेदारों का विरोध किया.

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सरकार का ध्यान आकर्षित हुआ

    इस आंदोलन के बाद, सरकार ने 1980 में हिमालयी क्षेत्रों में वनों की कटाई पर 15 साल का प्रतिबंध लगा दिया.

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'चिपको' नाम क्यों पड़ा?

    इस आंदोलन में लोग पेड़ों से चिपककर उन्हें कटने से बचाते थे, इसलिए इसे 'चिपको आंदोलन' कहा गया.

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महिलाओं की अद्भुत हिम्मत

    गौरा देवी और उनकी साथियों ने पेड़ों से लिपटकर लकड़हारे को रोका और पर्यावरण रक्षा की प्रेरणा दी.

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ग्लोबल वार्मिंग का असर

    उत्तराखंड को ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जो हिमालयी क्षेत्रों पर विशेष रूप से असर डाल रही हैं.

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वैश्विक पहचान मिली

    चिपको आंदोलन की गूंज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहुंची और इसे विश्व के सबसे प्रभावी पर्यावरण आंदोलनों में गिना गया.

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जलवायु परिवर्तन से निपटने के उपाय

    जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए शहरों में अधिक पेड़ों को लगाना जरुरी है.

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प्रकृति की रक्षा, जीवन की रक्षा

    यह आंदोलन सिखाता है कि यदि आम लोग संगठित हों, तो वे पर्यावरण और अपने भविष्य को बचा सकते हैं.

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