सियासत के नादान परिंदे, बयानों से कुतरवाए अपने पर


भाजपा, सपा, योगी सरकार पर दिए बयान

    आकाश आनंद को जब मायावती ने जिम्मेदारियां सौंपी, उसके बाद आकाश ने बसपा प्रत्याशियों के लिए आयोजित रैलियों में भाजपा, सपा और योगी सरकार पर हमले किए.

Credit: Photo Credit- Social Media

विवादित बयान के चलते किनारे किए गए वरुण

    पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी के बेटे वरुण गांधी युवा नेता हैं और एक वक्त में भाजपा में अच्छी पकड़ रखते थे, लेकिन पार्टी विरोधी बयानबाजी के कारण भाजपा ने उनसे किनारा कर लिया.

Credit: Photo Credit- Social Media

सिर्फ किनारा ही नहीं टिकट भी नहीं मिला

    भाजपा ने न सिर्फ वरुण गांधी से किनारा किया, बल्कि लोकसभा चुनाव 2024 में उन्हें बेटिकट भी कर दिया. इस बार वरुण गांधी की जगह भाजपा ने दूसरे प्रत्याशी को चुनावी मैदान में उतारा है.

Credit: Photo Credit- Social Media

चंद्रशेखर आजाद का विवादों से रहा है नाता

    भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद एक वक्त में यूपी की राजनीति में अच्छी दखल रखते थे. यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में उनके बयानों ने काफी छिछालेदर कराई थी.

Credit: Photo Credit- Social Media

अपरिपक्वता वाले बयानों ने लुटिया डुबाई

    चाहे कोई राजनीतिक कार्यक्रम हो या फिर कोई अन्य मंच.. चंद्रशेखर आजाद के अपरिपक्व बयानों ने उनकी लुटाया डुबो दी. राम मंदिर पर दिया उनका बयान विवादों में रहा था.

Credit: Photo Credit- Social Media

जितनी तेजी से उभरी, उतनी तेजी से गायब

    बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में नकाब वाली नेता पुष्पम प्रिया चौधरी की खूब चर्चा हुई थी. उन्होंने बिहार की कई विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे, लेकिन खुद भी जीत नहीं पाईं.

Credit: Photo Credit- Social Media

बयानों के कारण जनता ने किया किनारा!

    कहा जाता है कि पुष्पम प्रिया चौधरी ने विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा और जदयू पर जमकर निशाना साधा था. शायद उनकी अपरिपक्वता ने ही उनकी लुटिया डुबा दी.

Credit: Photo Credit- Social Media

विवादित बयानों के शहंशाह अकबरुद्दीन

    विवादित बयान की चर्चा हो और अकबरुद्दीन ओवैसी का जिक्र न हो. ऐसा नहीं हो सकता. 15 मिनट के लिए पुलिस दे दो वाला अकबरुद्दीन का बयान काफी चर्चा में रहा था.

Credit: Photo Credit- Social Media

विवादों में रहे लेकिन जनता के बीच बने हुए हैं

    अकबरुद्दीन औवेसी भले ही अपने बयानों से अपरिपक्व दिखे हों, लेकिन वोटर्स के एक बड़े वर्ग में उनकी पैठ बनी हुई है. शायद यही वजह है कि बयानवीर होने के बावजूद वे राजनीति में टिके हैं.

Credit: Photo Credit- Social Media
More Stories