दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती, जानें 10 रोचक तथ्य
Reepu Kumari
2025/10/02 09:26:21 IST
जाति से ऊपर उठकर मिली पहचान
शास्त्री जी का जन्म लाल बहादुर श्रीवास्तव के रूप में हुआ था, लेकिन जातिवाद का विरोध करते हुए उन्होंने श्रीवास्तव उपनाम छोड़ दिया. बाद में काशी विद्यापीठ से शिक्षा पूरी करने के बाद उन्हें शास्त्री की उपाधि मिली, जो उनकी विद्वता और सरलता का प्रतीक है.
Credit: Pinterestगंगा पार कर पढ़ाई के लिए संघर्ष
स्कूल के दिनों में वे सिर पर किताबों का थैला और कपड़े रखकर गंगा नदी को तैरकर पार करते थे. उनकी शिक्षा पाने की यह जिद उनकी मेहनत और संघर्षशीलता को दर्शाती है.
Credit: Pinterestपानी की बौछार का पहला प्रयोग
उत्तर प्रदेश में पुलिस मंत्री रहते हुए, भीड़ को नियंत्रित करने के लिए शास्त्री जी ने पहली बार लाठीचार्ज की जगह पानी की बौछार का उपयोग करवाया. यह निर्णय उनके मानवीय दृष्टिकोण को दिखाता है.
Credit: Pinterestमहिलाओं को कंडक्टर बनाने की पहल
परिवहन मंत्री के तौर पर उन्होंने महिलाओं को बस कंडक्टर बनाने की पहल की. यह उस दौर में महिलाओं की कार्यक्षमता और समान अवसर पर उनका प्रगतिशील दृष्टिकोण था.
Credit: Pinterest'जय जवान, जय किसान' का अमर नारा
1965 के भारत-पाक युद्ध के बाद देश में खाद्यान्न संकट के समय शास्त्री जी ने 'जय जवान, जय किसान' का नारा दिया. इसने सैनिकों और किसानों दोनों को सम्मान और प्रेरणा दी.
Credit: Pinterestबेटे की नौकरी में अनुचित पदोन्नति रद्द की
वे पारदर्शिता और ईमानदारी के इतने कट्टर समर्थक थे कि जब उन्हें बेटे की अनुचित पदोन्नति का पता चला, तो उन्होंने तुरंत आदेश देकर उसे रद्द कर दिया.
Credit: Pinterestभ्रष्टाचार के खिलाफ पहली समिति
1962 में गृह मंत्री रहते हुए शास्त्री जी ने भ्रष्टाचार से निपटने के लिए पहली बार एक औपचारिक समिति की स्थापना की. यह कदम उनकी सच्चाई और स्वच्छ राजनीति की मिसाल है.
Credit: Pinterestश्वेत क्रांति के सूत्रधार
उन्होंने दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए श्वेत क्रांति की नींव रखी और अमूल व एनडीडीबी (राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड) का समर्थन किया. यही वजह है कि भारत आज दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है.
Credit: Pinterestकार लोन की किश्तें चुकाते रहे प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री रहते हुए उन्होंने फ़िएट कार खरीदी थी, जिसकी 5,000 रुपये की किश्तें उनकी मृत्यु के बाद उनकी पत्नी ने पेंशन से चुकाईं. यह उनकी सादगी और ईमानदारी की अनोखी मिसाल है.
Credit: Pinterestमरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित
लाल बहादुर शास्त्री जी भारत रत्न पाने वाले पहले मरणोपरांत नेता बने. यह सम्मान उनकी सादगी, ईमानदारी और देशभक्ति के प्रति उनकी निष्ठा का प्रतीक है.
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