उत्तराखंड के पहाड़ों में क्यों होती है मसाण देवता की पूजा? ये है वजह


Antima Pal
2025/02/17 19:53:26 IST

गांव की रक्षा करते है मसाण देवता

    मान्यता है कि मसाण देवता गांव की रक्षा करते है.

Credit: social media

गांव वालों को कोई नुकसान नहीं होने देते

    माना जाता है कि जंगली जानवरों से भी गांव वालों को कोई नुकसान नहीं होने देते.

Credit: social media

मसाण देवता के मंदिर ऐसी जगह जहां चिताएं जलती हैं

    उत्तराखंड के पहाड़ों पर ज्यादातर मसाण देवता के मंदिर ऐसी जगह होते हैं, जहां पर चिताएं जलती हैं.

Credit: social media

बुरी आत्मा या पिशाच पीड़ित को लग गया

    यहां मसाण लगने का मतलब होता है कि कोई बुरी आत्मा या पिशाच पीड़ित को लग गया है.

Credit: social media

मसाण देवता की जाती है पूजा

    जिसके बाद मसाण देवता की पूजा की जाती है.

Credit: social medi

पीड़ित व्यक्ति हो जाता है ठीक

    अक्सर देखा जाता है कि मसाण देवता की पूजा के बाद पीड़ित व्यक्ति एकदम ठीक हो जाता है.

Credit: social media

स्थानीय भाषा में कहा जाता है छल लगना

    मसाण लगने को यहां की स्थानीय भाषा में छल लगना या परी लगना कहा जाता है.

Credit: social media

देवताओं के प्रति लोगों की है काफी आस्था

    यहां के लोग देवताओं के प्रति आस्था और उनके बनाए नियमों के अनुसार ही चलते हैं.

Credit: social media

कण-कण में देवी-देवताओं का वास

    उत्तराखंड के कण-कण में देवी-देवताओं का वास माना जाता है.

Credit: social media

भूतों से रक्षा के लिए बनाए गए मंदिर

    यहां कई जगहों पर भूतों से रक्षा के लिए उनके मंदिर भी बनाए गए हैं, जिन्हें पहाड़ों में मसाण बोला जाता है.

Credit: social media
More Stories