छठ पूजा 2025, जानिए नहाय-खाय, खरना और अर्घ्य की पूरी तिथियां


Reepu Kumari
2025/10/21 14:40:01 IST

नहाय-खाय से होती है शुरुआत

    छठ पूजा का पहला दिन नहाय-खाय कहलाता है. इस दिन व्रती सुबह सूर्योदय से पहले पवित्र नदी या तालाब में स्नान करते हैं. इसके बाद घर की साफ-सफाई कर चना दाल, कद्दू और चावल का प्रसाद बनाया जाता है. यह प्रसाद शुद्धता और सादगी का प्रतीक माना जाता है, जिससे व्रत की पवित्रता प्रारंभ होती है.

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खरना की विशेषता

    दूसरे दिन खरना का व्रत रखा जाता है. इस दिन शाम के समय व्रती लकड़ी के चूल्हे पर गुड़ की खीर और रोटी बनाते हैं. सूर्यदेव को अर्पित करने के बाद व्रती प्रसाद ग्रहण करते हैं. इसके बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होता है. कहा जाता है कि इसी दिन से छठी मैया घर में विराजती हैं.

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डूबते सूर्य को अर्घ्य

    तीसरे दिन व्रती निर्जल उपवास रखते हुए डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं. बांस के सूप में फल, ठेकुआ और मिठाइयाँ रखकर सूर्यदेव को धन्यवाद दिया जाता है. यह अर्घ्य जीवन में ऊर्जा, समृद्धि और संतान सुख के लिए किया जाता है.

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उदयगामी सूर्य को अर्घ्य

    अंतिम दिन व्रती उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर छठ व्रत का समापन करते हैं. इसके बाद परिक्रमा कर व्रत खोला जाता है. यह क्षण भक्ति और भावनाओं से भरा होता है जब परिवार एक साथ मिलकर सूर्यदेव को नमन करता है.

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छठ पूजा का महत्व

    छठ पूजा केवल एक व्रत नहीं बल्कि प्रकृति और आस्था का संगम है. यह त्योहार सूर्य की उपासना के माध्यम से जीवन में प्रकाश, ऊर्जा और सकारात्मकता का प्रतीक है. यह पर्व पर्यावरण संरक्षण और पारिवारिक एकता का संदेश भी देता है.

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प्रमुख राज्य जहां छठ पूजा धूमधाम से होती है

    बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्र में छठ पूजा अत्यधिक श्रद्धा से मनाई जाती है. दिल्ली, मुंबई और अन्य महानगरों में भी प्रवासी समुदाय इसे पूरे भक्ति भाव से मनाते हैं.

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छठ पूजा के दौरान की जाने वाली तैयारियां

    इस पर्व से पहले घरों और घाटों की सफाई, सजावट और प्रसाद की तैयारी की जाती है. व्रती कई दिनों पहले से शुद्ध खान-पान और सात्विक जीवनशैली अपनाते हैं. प्रसाद में ठेकुआ, खीर, फल और गन्ना मुख्य रूप से शामिल होते हैं.

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व्रत के नियम और सावधानियां

    व्रती को पूरे व्रत के दौरान पवित्रता और संयम बनाए रखना होता है. व्रत के दौरान अपवित्र वस्तुओं का सेवन निषिद्ध है. साथ ही, प्रसाद बनाने में पीतल या मिट्टी के बर्तन का उपयोग शुभ माना जाता है.

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छठ पूजा का आध्यात्मिक संदेश

    छठ पर्व सूर्य की अनंत ऊर्जा और माता छठी के आशीर्वाद का प्रतीक है. यह त्योहार सच्ची श्रद्धा, परिवार की एकजुटता और आत्मिक शुद्धि का संदेश देता है. कहा जाता है कि जो भी इस व्रत को पूरी निष्ठा से करता है, उसके जीवन में खुशियाँ स्थायी हो जाती हैं.

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Disclaimer

    यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है.  theindiadaily.com  इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.

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